
जानिए इस दिन की तृतीया तिथि, पंचांग, नक्षत्र, शुभ-अशुभ समय, योग, करिणा और इस दिन के धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी।
27 दिसंबर 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस तिथि पर किए गए पूजा-पाठ, व्रत और दान से जीवन में शुभता बढ़ती है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 27 दिसंबर 2025 को कौन-सा व्रत, त्योहार और शुभ योग हैं और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है? 27 दिसंबर 2025, शनिवार को शुक्ल पक्ष सप्तमी है। यह तिथि आध्यात्मिक साधना, पूजा-अर्चना और देव आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जयंती और मंडला पूजा जैसे पावन पर्व मनाए जाते हैं, जो इसे और भी विशेष बनाते हैं।
तिथि: शुक्ल पक्ष सप्तमी – दोपहर 1:11 PM तक
नक्षत्र: पूर्व भाद्रपद – सुबह 9:10 AM तक
योग: व्यतिपात – दोपहर 12:22 PM तक
करण: वणिज – दोपहर 1:06 PM तक
वार: शनिवार
मास (अमांत): पौष
मास (पूर्णिमांत): पौष
विक्रम संवत: 2082 (कालियुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्ववासु)
सूर्य राशि: धनु
चंद्र राशि: मीन
ऋतु: हेमंत
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: पूर्व दिशा
चंद्र निवास: उत्तर दिशा
1. गुरु गोबिंद सिंह जयंती
27 दिसंबर 2025 को सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाएगी।
यह दिन साहस, पराक्रम, त्याग और धर्म रक्षा के संकल्प को स्मरण करने का दिवस है।
गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन किया जाता है।
2. मंडला पूजा
शुभ मुहूर्त: 11:39 AM से 12:21 PM
राहुकाल: 9:21 AM से 10:41 AM
गुलिक काल: 6:43 AM से 8:02 AM
यमघंट काल: 1:19 PM से 2:38 PM
सूर्योदय: 6:43 AM
सूर्यास्त: 5:17 PM
चंद्र उदय: 11:27 AM
चंद्रास्त: 11:59 PM
सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
गुरु गोबिंद सिंह जी की प्रतिमा/चित्र पर केसर, फूल और सरसों का दीया चढ़ाएं।
गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ, कीर्तन या सतनाम का जप करें।
मंडला पूजा के लिए भगवान अयप्पा की आराधना करें, व्रत रखें और धूप-दीप जलाएं।
दान और सेवा का विशेष महत्व है - जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करना शुभ फल देता है।
शाम को आरती कर परिवार की मंगलकामना करें।
27 दिसंबर 2025 का दिन धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुरु गोबिंद सिंह जयंती और मंडला पूजा जैसे पवित्र पर्व इस दिन को विशेष बनाते हैं। पूजा-पाठ, दान, सेवा और आध्यात्मिक साधना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और साहस की प्राप्ति होती है।
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