2 नवंबर 2025 को क्या है?
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2 नवंबर 2025 को क्या है?

2 नवंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह और शुभ-अशुभ मुहूर्त से जुड़ी खास जानकारी।

आज के दिन के बारे में

2 नवंबर 2025 का दिन आस्था और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ किए गए पूजा-पाठ से मन की शांति और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से शुभ फल देने वाला माना जाता है और भक्त विशेष रूप से ईश्वर से कल्याण की कामना करते हैं। इस लेख में जानिए 2 नवंबर 2025 का धार्मिक महत्व, पूजन की परंपराएँ और इससे जुड़ी खास बातें।

2 नवंबर 2025 को क्या है?: जानें इस दिन से जुड़ी रोचक बातें

क्या आप जानना चाहते हैं कि 2 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है? 2 नवंबर 2025, रविवार के दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन भीष्म पंचक व्रत का दूसरा दिन होगा और साथ ही गोवत्स द्वादशी का पर्व भी मनाया जाएगा। यह दिन भक्ति, सेवा और धर्म पालन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कार्तिक मास की यह एकादशी तिथि भगवान विष्णु की आराधना के लिए सर्वोत्तम समय होती है।

पंचांग विवरण

  • तिथि: शुक्ल पक्ष एकादशी – अगली सुबह 10:21 बजे तक

  • नक्षत्र: पूर्वाभाद्रपद – रात 8:42 बजे तक

  • योग: व्याघात – सुबह 4:12 बजे तक

  • करण: वणिज – सुबह 10:08 बजे तक

  • वार: रविवार (सूर्यदेव का दिन)

  • मास: कार्तिक (शरद ऋतु)

  • विक्रम संवत: 2082 (कालियुक्त)

  • शक संवत: 1947 (विश्वावसु)

  • सूर्य राशि: तुला

  • चंद्र राशि: कुंभ से मीन में प्रवेश रात्रि में

  • आयन: दक्षिणायन

  • दिशाशूल: पश्चिम दिशा

पर्व और महत्त्व

  • भीष्म पंचक व्रत (दूसरा दिन)

भीष्म पंचक व्रत का दूसरा दिन भी पितामह भीष्म की स्मृति में रखा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की आराधना, दान और तप का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इन दिनों में उपवास करता है, वह पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

  • गोवत्स द्वादशी (व्रत आरंभ)

कुछ पंचांगों के अनुसार 2 नवंबर की रात्रि से गोवत्स द्वादशी का आरंभ माना जाएगा। यह व्रत गौमाता की पूजा और उनके संरक्षण का प्रतीक है। इस दिन गौ, बछड़े और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है।

पूजा और व्रत विधि

  • प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।

  • दीपक, पुष्प और तुलसीदल अर्पित करें।

  • “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

  • दिनभर उपवास या फलाहार करें और संध्या समय आरती करें।

  • गौमाता की पूजा कर उन्हें हरी घास और गुड़ खिलाएं।

शुभ-अशुभ समय

  • शुभ मुहूर्त: 10:48 AM से 11:33 AM

  • राहुकाल: 4:06 PM से 5:30 PM

  • गुलिक काल: 2:42 PM से 4:06 PM

  • यमघंट काल: 12:18 PM से 1:42 PM

सूर्य और चंद्र विवरण

  • सूर्योदय: 6:07 AM

  • सूर्यास्त: 5:17 PM

  • चंद्र उदय: 3:10 PM

  • चंद्रास्त: 2:23 AM

निष्कर्ष

2 नवंबर 2025 का दिन धार्मिक आस्था, पूजा और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ है। यह दिन भीष्म पंचक व्रत के दूसरे दिन और गोवत्स द्वादशी के आरंभ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और गौमाता की पूजा करने से पापों का नाश, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Published by Sri Mandir·November 3, 2025

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