1 अक्टूबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, देवी पूजन का महत्व, शुभ-अशुभ समय और आराधना से जुड़ी खास जानकारी।
1 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से किए जाने वाले अनुष्ठान जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं। भक्तों के लिए यह दिन आध्यात्मिक अनुभव और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर भी लेकर आता है। इस लेख में जानिए 1 अक्टूबर 2025 का धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 1 अक्टूबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
1 अक्टूबर 2025, बुधवार को नवमी तिथि है। यह दिन नवरात्रि का नौवाँ दिन (महानवमी) होगा और इस दिन देवी दुर्गा की विशेष पूजा की जाएगी। बंगाल में यह महा नवमी, अयुध पूजा और सरस्वती बलिदान के लिए प्रसिद्ध है। यह दिन शांति, समृद्धि और सफलता की कामनाओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पंचांग विवरण
तिथि: नवमी – शाम 7:02 बजे तक
नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा – सुबह 8:07 बजे तक
योग: अतिगंड – रात 12:34 बजे तक
करण: बालव – सुबह 6:38 बजे तक
वार: बुधवार (बुध देव का दिन)
महत्त्व और पूजा
देवी दुर्गा की पूजा
महानवमी के दिन देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से शक्ति, साहस और सफलता की प्राप्ति के लिए समर्पित है।
अयुध पूजा
दक्षिण भारत और बंगाल में उपकरण, गाड़ी, शस्त्र और अन्य कार्यों की पूजन होती है। इसे काम में सफलता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
विद्या, कला और संगीत के क्षेत्र में उन्नति के लिए सरस्वती देवी की पूजा की जाती है।
पूजा विधि
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल पर देवी दुर्गा और सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
दीप, धूप, पुष्प और फल का भोग अर्पित करें।
देवी के मंत्र और स्तुति का पाठ करें।
अंत में आरती करें और जीवन में शुभ फल, सफलता और शक्ति की प्रार्थना करें।
शुभ-अशुभ समय
शुभ मुहूर्त: 11:24 AM से 12:10 PM
राहुकाल: 11:47 AM से 1:16 PM
गुलिक काल: 10:18 AM से 11:47 AM
यमघंट काल: 7:19 AM से 8:48 AM
सूर्य और चंद्र
सूर्योदय: 5:50 AM
सूर्यास्त: 5:44 PM
चंद्र उदय: 1:56 PM
चंद्रास्त: 12:36 AM
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: धनु
दिशाशूल: उत्तर दिशा
ऋतु: शरद
आयन: दक्षिणायन
निष्कर्ष
1 अक्टूबर 2025 का दिन महानवमी के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा, अयुध पूजा और सरस्वती बलिदान करने से भक्तों को शक्ति, साहस, विद्या और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शांति, समृद्धि और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
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