यह वही स्थान है जहां स्टीव जॉब्स को अपने सवालों के जवाब मिले
.मानसखण्ड, उत्तराखंड, भारत
नैनीताल शहर के कुमाऊं पर्वत पर स्थित है कैंची धाम मंदिर। यह एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। कैंची धाम मंदिर के साथ साथ यहाँ पर आश्रम भी है। समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह आश्रम नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर है। यह स्थान सुंदरता और आध्यात्मिकता का एक आदर्श प्रस्तुत करता है। पहाड़ों, जंगलों और साथ में बहती नदी से घिरा कैंची धाम उन लोगों के लिए स्वर्ग है जो शांति की तलाश कर रहे हैं। कैंची धाम आश्रम और मंदिर शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है। यहाँ पर कीर्तन, भजन और भंडारे होते रहते है। जिस कारण भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
मंदिर का इतिहास
मंदिर की स्थापना 1960 के दशक में संत नीम करोली बाबा द्वारा की गई थी। यह मंदिर नीम करोली बाबा का आश्रम भी है, जिन्हें भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। भक्त आश्रम में भगवान हनुमान और नीम करोली बाबा की दिव्य उपस्थिति महसूस करने का दावा करते हैं। नीम करोली बाबा ने वर्ष 1973 में समाधि ले ली और तब से उन्हें भगवान हनुमान का अवतार माना जाने लगा। कैंची धाम तब प्रसिद्ध हुआ जब वर्ष 1973 में एप्पल इंक के पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स ने मंदिर का दौरा किया। अपने करियर में तनावपूर्ण समय से गुज़रते हुए, जॉब्स एक ऐसी जगह की तलाश में भारत आए जहाँ उन्हें अपने सवालों के जवाब मिल सकें और जीवन के अंतिम सत्य को प्राप्त किया जा सके। जॉब्स ने आश्रम में ध्यान लगाया और प्रबुद्ध होकर वापस चले गये। बाद में, फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी शांति और ज्ञान की तलाश में कैंची धाम का दौरा किया। आश्रम को शुरू में सोम्बारी महाराज और साधु प्रेमी बाबा को समर्पित करने के लिए बनाया गया था जो उस स्थान पर यज्ञ करते थे।
मंदिर का महत्व
यहाँ पर प्रत्येक वर्ष नीम करोली बाबा के जन्मदिन (15 जून) पर आश्रम में एक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। लोक कथाओं के अनुसार एक बार जब भंडारे के दौरान घी कम पड़ गया। तो बाबा ने कहा की एक पात्र में नदी से जल भरकर ले आओ और उसे भोजन बनाने में उपयोग करो। जब जल को लाया गया और भोजन के लिए इस्तेमाल करने लगे तो वह जल घी में बदल गया। इसलिए यह धाम चमत्कारिक माना जाता है।
मंदिर की वास्तुकला
कैंची धाम की वास्तुकला सरल लेकिन बहुत आकर्षक है। यह मंदिर पत्थरों, मिट्टी और लकड़ी से निर्मित है और इसका आकार पिरामिड की भांति है। मंदिर के भीतर नीम करोली बाबा को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है। मंदिर में दो बड़ी घंटियाँ भी हैं जिन्हें पूजा के दौरान बजाई जाती हैं । यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो पारंपरिक भारतीय मंदिर वास्तुकला को पश्चिमी प्रभावों के साथ जोड़ता है। मंदिर परिसर का प्रवेश द्वार एक बड़े पत्थर के द्वार से चिह्नित है, जिसके दोनों ओर दो लंगूर (बंदर) हैं। परिसर के अंदर, एक सुंदर सफेद गुंबद वाला एक छोटा मंदिर और विभिन्न हिंदू देवताओं को समर्पित कई छोटे मंदिर हैं।
मंदिर का समय
कैंची धाम खुलने का समय
05:00 AM - 04:00 PMमंदिर का प्रसाद
कैंचीधाम मंदिर में फल, फूल, मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है। साथ ही भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार भी भगवान को प्रसाद अर्पित कर सकते है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है