🔱 ✨ इस वैकुंठ एकादशी, पितृ दोष से राहत और पितृ शांति के लिए 3 मोक्ष तीर्थों में एक साथ पितृ शांति महापूजा का अवसर
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वैकुण्ठ एकादशी 3 मोक्ष तीर्थ क्षेत्र वि

काशी-रामेश्वरम घाट-गोकर्ण पितृ शांति पूजा एवं यज्ञ

पैतृक कर्मों से मुक्ति और शांतिपूर्ण जीवन के लिए
temple venue
पिशाच मोचन कुंड, गोकर्ण क्षेत्र, रामेश्वरम घाट, काशी, गोकर्ण, रामनाथपुरम
pooja date
30 December, Tuesday, पौष शुक्ल एकादशी
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🔱 ✨ इस वैकुंठ एकादशी, पितृ दोष से राहत और पितृ शांति के लिए 3 मोक्ष तीर्थों में एक साथ पितृ शांति महापूजा का अवसर

🛕 यदि जीवन में बार-बार बिना किसी कारण के काम बिगड़ रहे हैं, विवाह, संतान और करियर में रुकावटें थमने का नाम नहीं ले रहीं, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब पूर्वजों की आत्मा तृप्त नहीं होती या उनके लिए विधिवत तर्पण और पिंडदान नहीं किए जाते तो वे अशांत रह जाते हैं और उनका यह असंतोष घर-परिवार में रुकावटें पैदा करता है। साल 2025 की आखिरी एकादशी (वैकुंठ एकादशी) इन अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ दिन हो सकता है। जब यह अनुष्ठान 3 तीर्थों में एक साथ, एक ही दिन आयोजित होता है तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। शास्त्रों में वैकुंठ एकादशी, भगवान विष्णु को समर्पित अत्यंत पावन तिथि मानी गई है। इस दिन वैकुंठ के ‘द्वार’ खुलने की मान्यता है, जो पितृ पूजा के लिए सबसे फलदायी काल माना जाता है।

🍃 मान्यता है कि इस शांति पूजा और यज्ञ से जीवन में आर्थिक अस्थिरता, वैवाहिक बाधाएं, संतानों से जुड़ी परेशानियां और शारीरिक-मानसिक रोग शांत होते हैं। पितृ दोष को शांत करने के लिए केवल सामान्य पूजा काफी नहीं मानी जाती, बल्कि एक गहन और शास्त्रों में सुझाई गई विधि की ज़रूरत होती है। विद्वानों द्वारा किया जाने वाला यह अनुष्ठान पितरों को संतोष, शांति और मोक्ष की सही दिशा तक ले जा सकता है।

🛕 साल का अंत और वैकुंठ एकादशी के दुर्लभ समय में पितृ शांति पूजा और यज्ञ का आयोजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस उपासना से पितृ दोष का निवारण होता है, जीवन की बाधाएं कम होने लगती हैं और परिवार पर सुख, शांति और समृद्धि की कृपा सक्रिय होती है। इस वर्ष यह पितृ शांति अनुष्ठान एक नहीं, बल्कि 3 पवित्र मोक्षदायी तीर्थों पर एक साथ संपन्न होगा काशी के पिशाच मोचन कुंड, रामेश्वरम घाट और गोकर्ण क्षेत्र। ऐसा विश्वास है कि इन तीनों स्थानों पर संयुक्त रूप से की गई पितृ शांति पूजा से पितरों की तृप्ति होती है और परिवार को नई सकारात्मक दिशा मिलती है।
काशी, मोक्ष की नगरी, जहां पिशाच मोचन कुंड में गरुड़ पुराण के अनुसार पिंडदान से पितरों को शीघ्र राहत की दिशा मिलती है और वंश परंपरा में स्थिरता आती है।


रामेश्वरम घाट, वह तीर्थ है, जहां मान्यता है कि स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने पितरों के लिए जल तर्पण कर श्राद्ध परंपरा को आगे बढ़ाया था।


गोकर्ण क्षेत्र, आत्मलिंग की भूमि है, जहां कोटितीर्थ और समुद्र संगम पर त्रिपिंडी तर्पण पूर्वजों को लंबे समय तक शांति और वंशजों को पितृ आशीष प्रदान करता है।


श्री मंदिर के माध्यम से वैकुंठ एकादशी पर इस विशेष त्रि-तीर्थ पितृ शांति अनुष्ठान में भाग लें और पूर्वजों की आत्मा शांति-मोक्ष, परिवार में समृद्धि और खुशहाली की दिशा पाएं।

पिशाच मोचन कुंड, गोकर्ण क्षेत्र, रामेश्वरम घाट, काशी, गोकर्ण, रामनाथपुरम

पिशाच मोचन कुंड, गोकर्ण क्षेत्र, रामेश्वरम घाट, काशी, गोकर्ण, रामनाथपुरम
सनातन धर्म में काशी, गोकर्ण और रामेश्वरम को पितृ शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत फलदायी तीर्थ माना गया है। पूर्णिमा, एकादशी जैसी तिथियों पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को शांति और वंशजों को आध्यात्मिक संरक्षण प्राप्त हो सकता है।

काशी – इसे मोक्ष की नगरी कहा गया है, जहां पिशाच मोचन कुंड पितृ शांति का विशेष स्थान है। गरुड़ पुराण और काशी खंड में इसका उल्लेख मिलता है कि इस कुंड में पिंडदान, तर्पण से पितरों की अधूरी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें परम शांति की दिशा मिलती है।

गोकर्ण क्षेत्र– कर्नाटक के समुद्री तट पर यह तीर्थ आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली माना गया है। यहाँ का कोटितीर्थ और अरब सागर का संगम पितृ अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से पवित्र है। मान्यता है कि यहाँ किए गए त्रिपिंडी श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान सीधे पूर्वजों तक पहुँचते हैं और उनकी आत्मा को गति मिलती है।

रामेश्वरम घाट – यह स्थान पवित्र रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता है कि रावण वध के पश्चात भगवान राम ने यहाँ रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी, जिससे वे दोषमुक्त हुए। यही कारण है कि रामेश्वरम दोष निवारण और पिंडदान के लिए अत्यंत शुभ स्थान माना गया है।
काशी-रामेश्वरम-गोकर्ण पितृ शांति पूजा एवं यज्ञ के लाभ

1. परिवार में शांति: ऐसा माना जाता है कि जब पितरों की आत्मा तृप्त होती है, तो वंश में सुख, समृद्धि और मानसिक संतुलन बढ़ता है। त्रि-तीर्थ पर किए गए पितृ तर्पण से मां-पिता, दोनों पक्षों की आत्माओं को शांति मिलती है, जिससे कुल में विवाद, तनाव शांत होते हैं।

2. उत्तम स्वास्थ्य के लिए: पितृ दोष के कारण शरीर में बार-बार बीमारी, कमजोरी या दीर्घकालिक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। जब पितरों की आत्मा को विधिपूर्वक तर्पण मिलता है, तो रोग शांत होने लगते हैं और जीवन में शारीरिक-मानसिक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

3. समृद्धि और सफलता: पितृ दोष के प्रभाव से करियर और व्यापार में मंदी छाने लगती है। एकादशी पर किया जाने वाला यह त्रि-तीर्थ अनुष्ठान करियर में रफ्तार दे सकता है और व्यापार में लाभ के बंद दरवाजे खोल सकता है।

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पारिवारिक पूजा

अधिकतम 4 सदस्यों के लिए पूजा कराएं
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पारिवारिक पूजा  package image

पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान कर्ता और उसके 4 पूर्वजों के नाम, गोत्र और अन्य प्रतिभागियों के नाम पुकारेंगे। बुकिंग पृष्ठ पर दिए गए फ़ील्ड में अधिकतम 4 पूर्वजों के नाम दर्ज करें।
पिशाच मोचन कुंड, गोकर्ण क्षेत्र, रामेश्वरम घाट में आपके पूर्वज को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र सेवा, अन्नसेवा, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, पंचमेवा, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

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శ్రీ మందిరం గురించి మన ప్రియమైన భక్తులు ఏమనుకుంటున్నారో చదవండి.
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