हिंदु वैदिक पंचाग के अनुसार, हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पौराणिक कथानुसार, मां दुर्गा ने इन नौ दिनों तक दुष्ट राक्षस महिसासुर से युद्ध किया था और दसवें दिन उसे पराजित किया था। यही कारण है कि इस अवधि के दौरान भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ रूपों की पूजा करते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दस महाविद्या देवी दुर्गा का ही उग्र रूप हैं। दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या है मां बगलामुखी। माँ बगलामुखी की पूजा शत्रुओं के नाश एवं सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। पौराणिक कथानुसार, भगवान श्री राम ने और पांडवों ने भी अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की पूजा की थी। कहा जाता है कि मां बगलामुखी की पूजा के माध्यम से बड़ी से बड़ी बाधाएं और शत्रुओं से होने वाले खतरे टाले जा सकते हैं। मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें से तंत्र युक्त हवन एवं यंत्र पोडशोपचार विधि भी एक है। शास्त्रों में देवी बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए कई विधियां बताई गईं हैं, जिनमें से षोडशोपचार पूजन भी एक है। षोडशोपचार पूजन का अर्थ होता है – सोलह उपचारों से पूजन करना। कहा जाता है मां बगलामुखी को समर्पित तंत्र युक्त हवन एवं यंत्र षोडशोपचार कुमकुम अभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति, शत्रुओं पर विजय और कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत मिलती है।
मां बगलामुखी को समर्पित यंत्र का कुमकुम से अभिषेक करने का विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि
कुमकुम पूजा की अनिवार्य सामग्री है और सनातन परंपरा में कुमकुम के लाल रंग को साहस, शौर्य और विजय का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार कुमकुम साहस, शौर्य और विजय का प्रतीक है, उसी प्रकार माँ बगलामुखी भी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी है। यही कारण है कि प्राचीन काल में युद्ध से पहले योद्धाओं और राजाओं के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाया जाता था। धार्मिक ग्रंथों में कुमकुम को दिव्यता का प्रतीक बताया गया है। इसी कारणवश मान्यता है कि मां बगलामुखी को समर्पित यंत्र का कुमकुम से अभिषेक करने से मां बगलामुखी द्वारा विजय प्राप्ति का आशीष मिलता है। इसलिए शारदीय नवरात्रि के प्रथम तिथि नवरात्रि प्रारंभ के शुभ अवसर पर उज्जैन में विराजित माँ बगलामुखी मंदिर में मां बगलामुखी तंत्र युक्त हवन एवं यंत्र षोडशोपचार कुमकुम अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और मां बगलामुखी द्वारा कोर्ट-कचहरी एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।