ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली में दो ग्रह युति बनाते हैं तो यह व्यक्ति के जीवन में कई तरह के बदलाव लेकर आते हैं। शुक्र और सूर्य दोनों ही प्रभावशाली ग्रह हैं, लेकिन दोनों का एक ही राशि में उपस्थित होना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत करीब आता है तो सूर्य के तेज के कारण वह प्रभावहीन हो जाता है। ऐसे ग्रह को अस्त ग्रह माना जाता है। शुक्र और सूर्य की युति को प्रतिकूल माना जाता है और यह व्यक्ति के जीवन में कई तरह की चुनौतियां ला सकता है। इस युति के बनने से जातक के वैवाहिक जीवन में समस्याएं, अन्य रिश्तों में विवादों का सामना करना पड़ सकती है। इसके अलावा, यह युति दो व्यक्ति के बीच आपसी समझ को कम करती है, जिससे उसकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। यह व्यक्ति के अंदर अहंकार की भावना को भी बढ़ाता है, जिससे रिश्तों, करियर और व्यक्तिगत विकास में उतार-चढ़ाव आते हैं।
इस युति के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए रविवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में पूजा करना बेहद लाभकारी माना जाता है। रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है, जबकि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह है। इसलिए रविवार और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के इस शुभ संयोग पर श्री नवग्रह शनि मंदिर, उज्जैन में 20,000 शुक्र मूल मंत्र जाप, 6,000 सूर्य मूल मंत्र जाप और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और रिश्तों में खुशहाली लाने और विवादों को दूर करने का आशीर्वाद प्राप्त करें।