सनातन धर्म में विजया दशमी का विशेष महत्व है, कई जगहों पर इसे दशहरा भी कहते हैं। यह पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का संहार किया था, जो अहंकार, अधर्म और अन्याय का प्रतीक था। भगवान श्री राम ने इस जीत के लिए सूर्य देव की अराधना की थी। पृथ्वी लोक पर सूर्य को साक्षात देव माना जाता है। सौरमंडल के नव ग्रहों को ऊर्जा का संचार करने वाले सूर्य देव इस धरा को प्रकाशवान करने वाले तेज के स्वामी हैं। इनकी अराधना का सबसे प्रभावशाली विधान है, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ। मान्यता है कि जीवन में किसी भी अभिष्ट इच्छा की प्राप्ति, शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए इस पाठ को सबसे श्रेयस्कर माना जाता है। यही कारण है कि स्वयं भगवान श्री राम ने रावण पर विजय हासिल करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ किया था। शास्त्रों के अनुसार, ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए इसका वर्णन किया था। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के युद्ध कांड के 105 वें सर्ग में आदित्य हृदय स्तोत्र की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। दरअसल जब राम-रावण युद्ध क्षेत्र में आमने-सामने थे, तब कई प्रयासों के बाद भी राम रावण का वध नहीं कर पा रहे थें तभी रणक्षेत्र में राम के सम्मुख ऋषि अगस्त्य प्रगट हुए। अगस्त्य ऋषि ने राम से युद्धभूमि में कहा कि इस स्तोत्र के पाठ मात्र से रावण समेत युद्ध में सभी शत्रुओं का विनाश होगा और तुम्हें विजय की प्राप्ति होगी। इस पाठ को कर भगवान राम ने सूर्यदेव से वरदान प्राप्त किया और युद्ध में राम ने रावण का वध करके पाप एवं अहंकार का विनाश किया।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एकमात्र आदित्य हृदय स्तोत्र के पावन पाठ से जीवन के कई कष्टों का निवारण हो जाता है। वहीं, राम रक्षा स्तोत्र संस्कृत पाठ भगवान श्री राम को अत्यंत प्रिय है। राम रक्षा स्तोत्र की रचना ऋषि कौशिक ने की है, जिसका उल्लेख हिन्दू के पवित्र ग्रन्थ श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में मिलता है। मान्यता है कि इस स्तोत्र के पाठ से शीघ्र हीं हमे प्रभु श्री राम की कृपा की प्राप्ति होती है। जैसा की इस स्तोत्र के नाम से प्रतीत होता है कि राम रक्षा स्तोत्र संस्कृत पाठ समस्त बाधाओं, बुराईयों एवं भय से हमारी रक्षा करता है। राम रक्षा स्तोत्र संस्कृत में कुल 38 श्लोक संकलित हैं जिसकी रचना अनुष्टुप् छन्द में की गयी हैं। इन श्लोकों में प्रभु श्री राम के कल्याणकारी स्वरुप का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान राम की कृपा हमें सदैव मिलती रहती है। इसलिए विजया दशमी के शुभ अवसर अयोध्या के श्री प्राचीन राज द्वार मंदिर में राम रक्षा स्तोत्र पाठ, आदित्य हृदयम पूजा एवं हवन का आयोजन किया जा रहा है। अयोध्या में मौजूद इस मंदिर को अयोध्या के सबसे ऊँचे मंदिरों में से एक माना जाता है। कहते हैं कि श्री राम, सीताजी एवं लक्ष्मणजी वनवास जाने के समय इसी मंदिर से होकर गए थे। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और जीवन में बुराईयों एवं बाधाओं पर विजय का आशीष पाएं।