हिंदू धर्म में श्रावण को ब्रह्मांड के नियंत्रक महादेव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। हिंदू धर्म में हर दिन का अपना एक विशेष धार्मिक महत्व होता है। वहीं मंगलवार का दिन मंगल देव को समर्पित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को नवग्रहों का सेनापति कहा जाता है। इसी कारण मंगलवार के दिन विशेष पूजा करने से मांगलिक दोष से मुक्ति मिलती है। मत्स्य पुराण में मंगल ग्रह के जन्म को लेकर एक कथा वर्णित है, जिसमें अंधकासुर नामक दैत्य को तप के बाद भगवान शिव ने वरदान दिया था कि उसके रक्त से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे। इस वरदान को पाकर दैत्य ने अवंतिका यानि उज्जैन में तबाही मचा दी। तब लोगों ने शिव जी से प्रार्थना की, भक्तों के संकट दूर करने के लिए भगवान शिव ने अंधकासुर से युद्ध किया, यह युद्ध बड़ा भयानक चला। युद्ध के तेज से इस दौरान भगवान शिव के ललाट से पसीने की बूंद धरती पर गिरी और वह बूंद जैसे ही धरती में समाई। उस धरती की कोख से अंगार के समान लाल रंग वाले मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। महादेव के ललाट से पसीने की बूंद जिस जगह मंगल ग्रह प्रकट हुए वह स्थान उज्जैन है और उस जगह आज वर्तमान समय में मंगलनाथ मंदिर है।
मान्यता है कि यहाँ स्थित मंगलनाथ महादेव मंदिर में मांगलिक दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है। मांगलिक दोष वाले लोगों के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अक्सर शादी में देरी का सामना करना पड़ता है। शादी के बाद मंगल दोष का प्रभाव दोनों पार्टनर पर पड़ता है, क्योंकि शादी के बाद उनकी कुंडली मिल जाती है, जिससे पार्टनर को इसके दुष्प्रभाव के कारण दुर्घटना एवं दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है। इस मंदिर की खासियत है कि यहाँ पूजा करने से व्यक्ति को मनपसंद पार्टनर से शादी करने का आशीर्वाद मिल सकता है और मांगलिक दोष से जुड़ी समस्याओं का समाधान मिल सकता है। इसलिए जिन जातक की कुंडली में मांगलिक दोष के कारण विवाह में देरी हो रही है या वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण चल रहा है, तो श्रावण माह में मंगलवार के दिन होनी वाली मांगलिक दोष निवारण महापूजा, भात पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से अवश्य भाग लें।