हिंदु धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का विशेष महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी होती है और हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है। हिंदु पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। पापांकुशा एकादशी का दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है, वहीं जो लोग इस दिन पितृ दोष शांति पूजा, पितृ तर्पण और पिंड दान करते हैं, उनके पूर्वजों को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और भगवान विष्णु उन्हें अपने शरण में स्थान देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्ष नगरी काशी में पितृ पूजा का अपना विशिष्ट महत्व है, कहते हैं कि यहां स्थित पिशाच मोचन कुंड में पितृ दोष शांति महापूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष के कारण उत्पन्न पारिवारिक क्लेश से मुक्ति मिलती है।
वहीं गंगोत्री धाम में गंगा अभिषेक पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां इस पवित्र स्थान पर अभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगोत्री धाम में ही मां गंगा का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान श्री रामचन्द्र के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था, जिनकी तपस्या से शिवजी प्रसन्न होकर यहां प्रकट हुए थे एवं उन्होंने मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर उनका वेग शांत किया था। इसलिए पापांकुशा एकादशी तिथि के शुभ अवसर पर काशी के पिशाच मोचन कुंड में पितृ दोष शांति महापूजा और गंगोत्री धाम में गंगा अभिषेक पूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं पारिवारिक क्लेश से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।