मान्यता है कि भगवान हनुमान की पूजा करने से शनि के सभी अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में जब रावण ने सभी ग्रहों के साथ शनिदेव को भी बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी प्रभु राम के आदेश पर माता सीता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंचे और उन्होंने शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया। शनि देव ने इससे प्रसन्न होकर हनुमान जी को वरदान दिया कि उनकी भक्ति करने वाले लोगों को वो कभी भी पीड़ा नहीं देंगे। यही कारण है कि शनि देव की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं।
माना जाता है कि शनिवार के दिन भगवान शनि के साथ भगवान हनुमान की पूजा करने से भक्तों को शनि की साढ़ेसाती, शनि ढैय्या और शनि महादशा जैसी शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। वहीं अयोध्या में श्री राम के परम भक्त महाबली हनुमान को विशेष स्थान प्राप्त है। कहते हैं सालों पहले यहाँ राजा विक्रमादित्य ने श्री हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण करवाया था। मान्यता है कि त्रेता युग में हनुमान जी इसी स्थान पर एक गुफा में रहा करते थे और वो आज भी श्री राम जन्मभूमि अयोध्या की रक्षा करते हैं। इसलिए इस पवित्र मंदिर में पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र पाठ एवं 1008 शनि मूल मंत्र जाप एवं हवन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान हनुमान और शनिदेव से आशीर्वाद प्राप्त करें।