श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा के अलावा हनुमान जी की पूजा का भी उतना ही महत्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी भगवान शिव के ही अंशावतार हैं। इसलिए श्रावण मास में इनकी पूजा करने से साधक के सभी कष्ट दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं कलयुग में हनुमान जी को चिरंजीवी कहा गया है, इन्हें शीघ्र प्रसन्न करने के लिए मंगलवार का दिन अत्यंत शुभ है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित सुंदरकांड पाठ, हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल और शक्तिशाली पाठ है। मान्यता है कि इसका पाठ करने से भक्तों को सभी कष्टों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। इस पाठ से केवल हनुमान जी ही नहीं बल्कि प्रभु श्री राम और माता सीता का भी परम आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। सुंदरकांड पाठ श्री रामचरितमानस का पांचवा और बेहद महत्वपूर्ण कांड है। इसमें हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गए थे। लंका में 'सुंदर' नाम के पर्वत पर अशोक वाटिका बनी थी, जहां रावण ने माता सीता को रखा था। क्योंकि लंका के इसी सुंदर पर्वत पर बनी अशोक वाटिका में माता सीता और हनुमान जी की भेंट हुई थी, इसलिए इसे 'सुंदरकाण्ड' कहते हैं।
माना जाता है जब किसी व्यक्ति के जीवन में कठिन परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हों या उसमें आत्मविश्वास की कमी हो, तो सुंदरकांड का पाठ करवाने से उसे शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। सुंदरकांड में हनुमान जी के विजय होने की कथा सुनाई गयी है जो इस बात का प्रतीक है कि आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति के बल पर किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। वहीं हनुमान जी के मूल मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र माना जाता है जिसके जाप से लोगों को शक्ति, सुरक्षा और सफलता की प्राप्ति होती है। अयोध्या में श्री राम के परम भक्त महाबली हनुमान को विशेष स्थान प्राप्त है। कहते हैं सालों पहले यहाँ राजा विक्रमादित्य ने श्री हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण करवाया था। यहाँ के स्थानीय लोगों का मानना है कि त्रेतायुग में हनुमान जी इसी स्थान पर एक गुफा में रहा करते थे और वो आज भी श्री राम जन्मभूमि अयोध्या की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंत्र का जाप करता है उसे नकारात्मकता से सुरक्षा एवं मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त हो सकती है। इसलिए श्रावण में मंगलवार के दिन यहां इस पूजा का आयोजन किया जा रहा है, श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लें।