ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का अपना महत्व होता है। कुंडली में जब कोई ग्रह मजबूत होता है तो वह जातक को शुभ फल देता है और कमजोर होता है तो अशुभ फल देता है। वहीं कुछ ग्रह दूसरे ग्रहों के साथ मिलकर शुभ व अशुभ दोनों फल देते हैं। राहु एवं शनि का स्वभाव लगभग एक ही तरह है, इनकी युति से अलग-अलग योग बनते हैं जिनमें से एक है श्रापित योग। ज्योतिष शास्त्र में इसे महाकष्टकारी योग को माना जाता है। जिनकी कुंडली में ये योग बनता है उन्हें अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, राहु ग्रह व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित कर देता है जिससे उसके कार्यों में विलंब होता है और शनि के नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
हिंदू धर्म में श्रावण मास भगवान शिव को प्रिय माना जाता है। मान्यता है कि श्रावण के पावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। राहु को भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है। कहा जाता है कि जब कुंडली में राहु प्रतिकूल स्थिति में हो तो भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। वहीं शनिवार का दिन शनि को समर्पित होता है। इसलिए कुंडली में राहु और शनि के प्रभाव को शांत करने और इनके दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव के प्रिय महीने श्रावण में शनिवार के दिन पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस शुभ संयोग पर महाकाल की नगरी उज्जैन में राहु-शनि श्रापित दोष शांति हवन और तिल तेल अभिषेक पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में शामिल हों और राहु और शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाएं।