मानसिक स्वास्थ्य और बेहतर निर्णय क्षमता के लिए पौष पूर्णिमा राहु पैठाणी राहु का नक्षत्र विशेष 18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं दशांश हवन
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पौष पूर्णिमा राहु पैठाणी राहु का नक्षत्र विशेष

18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं दशांश हवन

मानसिक स्वास्थ्य और बेहतर निर्णय क्षमता के लिए
temple venue
राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड
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मानसिक स्वास्थ्य और बेहतर निर्णय क्षमता के लिए पौष पूर्णिमा राहु पैठाणी राहु का नक्षत्र विशेष 18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं दशांश हवन

जानें राहु कैसे करता है मानसिक शांति को भंग?😟

साल 2025 शुरुआत में ही पूर्णिमा पर आर्द्रा नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस समय विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से राहु के नकारात्मक प्रभावों को शांत किया जा सकता है, क्योंकि आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी स्वयं राहु होते हैं। राहु के संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि यह एक ऐसा प्रभावशाली ग्रह है जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डाल सकता है। इसे आमतौर पर अशुभ परिणामों का कारक माना जाता है, क्योंकि यह बाधाओं, आत्मविश्वास की कमी, मानसिक स्वास्थ्य और निर्णय क्षमता को प्रभावित करता है, साथ ही सामाजिक कलंक जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है। यदि यह ग्रह अनुकूल स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को सफलता और विलासिता के साथ कई सुखद परिणाम भी दे सकता है। राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित राहु पैठाणी मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है जहां राहु की पूजा होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान असुर स्वर्भानु ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत का सेवन किया था, जिसके बाद विष्णु ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। मान्यता के अनुसार स्वर्भानु का सिर (राहु) जहां गिरा, वहीं यह मंदिर स्थापित हुआ। यहां भगवान शिव के साथ राहु की धड़विहीन प्रतिमा स्थापित है। यहां विशेष रूप से शांति पूजा और मंत्र जाप जैसे आयोजन किए जाते हैं, जो राहु के अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक होते हैं। इसलिए इस पूजा का आयोजन इस मंदिर में किया जा रहा है जिससे मानसिक शांति, निर्णय क्षमता में सुधार और जीवन की बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, राहु द्वारा शासित आर्द्रा नक्षत्र के दौरान यह पूजा करना और भी अधिक लाभकारी हो सकता है। इसलिए राहु पैठाणी मंदिर में पौष पूर्णिमा के दिन राहु के द्वारा शासित आर्द्रा नक्षत्र के दौरान 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और दशांश हवन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लेकर राहु के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पा सकते हैं।

राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड

राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड
उत्तराखंड में स्थित इस राहु मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ राहु की भी पूजा की जाती है। यह देश के उन मंदिरों में से है, जहां राहु की पूजा भगवान श‍िव के साथ होती है। माना जाता है कि राहु और केतु स्वरभानु नामक असुर के शरीर के भाग हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब स्वरभानु ने देवताओं की पंगत में बैठकर छल से अमृत पी लिया तभी भगवान विष्णु को उसके छल का पता चल गया और उन्होनें अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था, जिससे कि वह अमर न हो जाए, लेक‍िन अमृत चखने के कारण स्वरभानु तो अमर हो गया था। स्वरभानु का न‍ि‍चला ह‍िस्‍सा केतु बना तो धड़ से ऊपर स‍िर वाला भाग राहु कहलाया। यही स‍िर वाला हिस्सा सुदर्शन से कटने के बाद पौड़ी में स्‍थ‍ित इसी स्थान पर गिरा जो राहु मंदि‍र के नाम से जाना गया।

मान्यता है कि राहु के कारण उत्पन्न होने वाले विभिन्न दोषों को दूर करने के लिए लोग राहु के मंदिर में जाते हैं। वहीं यहां विशेष रूप से कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष, और राहु महादशा से राहत पाने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर वर्णित है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। लेकिन इस मंदिर को लेकर एक और कथा है जिसमें बताया गया है कि इसका निर्माण पांडवों ने उस समय करवाया जब वो स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे, तब राहु दोष से बचने के लिए पांडवों ने इसी मंदिर में भगवान शिव और राहु की पूजा की थी।

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