मानसिक शांति एवं आत्मविश्वास प्राप्ति का आशीष पाने के लिए श्रावण माह राहु का नक्षत्र विशेष राहु चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा - 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्रमा मूल मंत्र जाप
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श्रावण माह राहु का नक्षत्र विशेष

राहु चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा - 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्रमा मूल मंत्र जाप

मानसिक शांति एवं आत्मविश्वास प्राप्ति का आशीष पाने के लिए
temple venue
राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड
pooja date
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मानसिक शांति एवं आत्मविश्वास प्राप्ति का आशीष पाने के लिए श्रावण माह राहु का नक्षत्र विशेष राहु चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा - 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्रमा मूल मंत्र जाप

हिंदू धर्म में श्रावण मास को महादेव का प्रिय माह माना जाता है। मान्यता है कि राहु ग्रह भगवान शिव के परम आराधक हैं, इसलिए भगवान शिव ही इनके स्वामी हैं। वहीं चंद्रमा के नियंत्रक भी भगवान शिव को ही माना गया है। इसलिए कहा जाता है कि जब कुंडली में राहु एवं चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो तो जातक को शिवजी की आराधना करनी चाहिए। मान्यता है कि भगवान शिव के प्रिय माह श्रावण में महादेव की अराधना करने से सभी तरह के ग्रह दोष दूर होते हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में राहु और चंद्रमा की युति से ग्रहण योग बनता है। यह ग्रहण योग व्यक्ति को आर्थिक और मानसिक स्तर पर काफी परेशान करता है। ज्योतिषियों की मानें तो जब कुंडली में एक ही घर में चंद्रमा के साथ राहु आता है तो चंद्रमा दूषित हो जाता है, जिससे जातक के विचारों में नकारात्मकता बढ़ जाती है और वो बुरे ख्यालों से घिर जाते हैं। इससे मानसिक समस्याएं भी बढती है इसलिए इस ग्रहण दोष के सभी अशुभ प्रभावों से बचने के लिए राहु मूल मंत्र जाप एवं चन्द्रमा मूल मंत्र जाप अत्यंत लाभकारी माना गया है।

मान्यता है कि चंद्रमा और राहु का योग हो तो जातक को नियमित रूप से भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए। इसलिए इस ग्रहण दोष को दूर करने के लिए यह पूजा श्रावण माह के पावन अवसर पर राहु द्वारा शासित आद्रा नक्षत्र के दौरान कराना अत्यंत फलदायी हो सकता है। इसलिए श्रावण एवं आद्रा नक्षत्र के इस शुभ संयोग पर उत्तराखंड के राहु पिठानी मंदिर में इस पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां राहु की पूजा भगवान श‍िव के साथ होती है। इसलिए श्री मंदिर के माध्यम से राहु चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा - 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्रमा मूल मंत्र जाप में भाग लें और इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।

राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड

राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड
उत्तराखंड में स्थित इस राहु मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ राहु की भी पूजा की जाती है। यह देश के इन मंदिरों में एक है जहां राहु की पूजा भगवान श‍िव के साथ होती है। पौराणिक कथा के अनुसार राहु और केतु पहले स्वरभानु नामक असुर हुआ करते थें। समुद्र मंथन के दौरान जब स्वरभानु ने देवताओं की पंगत में बैठकर छल से अमृत पी लिया तभी भगवान विष्णु को उसके छल का पता चल गया और उन्होनें अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था, जिससे कि वह अमर न हो जाए, लेक‍िन अमृत चखने के कारण स्वरभानु तो अमर हो गया था। स्वरभानु का न‍ि‍चला ह‍िस्‍सा केतु बना तो धड़ से ऊपर स‍िर वाला ह‍िस्‍सा राहु कहलाया। यही स‍िर वाला हिस्सा सुदर्शन से कटने के बाद पौड़ी में स्‍थ‍ित इसी स्थान पर गिरा जो राहु मंदि‍र के नाम से जाना गया।

मान्यता है कि राहु के कारण उत्पन्न होने वाले विभिन्न दोषों को दूर करने के लिए लोग राहु के मंदिर में जाते हैं। वहीं यहां विशेष रूप से कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष, और राहु महादशा से राहत पाने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर वर्णित है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। लेकिन इस मंदिर को लेकर एक और कथा है जिसमें बताया गया है कि इसका निर्माण पांडवों ने उस समय करवाया जब वो स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे, तब राहु दोष से बचने के लिए पांडवों ने इसी मंदिर में भगवान शिव और राहु की पूजा की थी।

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