आदर्श जीवनसाथी और रिश्ते में आनंद पाने के लिए प्रदोष शक्तिपीठ विशेष शिव-गौरी पूजन, चंडी पाठ और हवन
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प्रदोष शक्तिपीठ विशेष

शिव-गौरी पूजन, चंडी पाठ और हवन

आदर्श जीवनसाथी और रिश्ते में आनंद पाने के लिए
temple venue
शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर , गया, बिहार
pooja date
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आदर्श जीवनसाथी और रिश्ते में आनंद पाने के लिए प्रदोष शक्तिपीठ विशेष शिव-गौरी पूजन, चंडी पाठ और हवन

हिंदु धर्म में प्रदोष तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष तिथि कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा का विधान है। कहते हैं शिव और शक्ति एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसलिए देवी पार्वती को पूर्ण रूप से प्रसन्न करने और उनसे मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की भी स्तुति की जाती है। इसलिए इस शुभ दिन पर शिव-गौरी पूजन के साथ अगर चंडी पाठ भी किया जाए तो यह अत्यंत प्रभावशाली होता है। चंडी पाठ को दुर्गा सप्तशती या दुर्गा पाठ भी कहा जाता है। ये शक्ति की देवी माता दुर्गा के राक्षस महिषासुर पर विजय की कहानी की व्याख्या करता है। मां मंगला गौरी माता पार्वती का ही एक रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। सालों तक, उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया और तप की तीव्रता के कारण उनका शरीर काला पड़ने लगा। तभी भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उनके समक्ष प्रकट हुए, उन्होंने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया। हालांकि, तपस्या के कारण काले पड़ चुके पार्वती के शरीर को देख भगवान शिव ने पवित्र गंगा के जल से माता पार्वती को नहलाया, जिससे उनकी त्वचा काली से चमकदार गौर वर्ण की हो गई। इसी रूप में, देवी पार्वती ‘महागौरी’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

आदिशक्ति माता पार्वती के मंगल रूप होने के कारण इन्हें कई जगहों पर मां मंगला गौरी के नाम से भी जाना जाता हैं। मान्यता है कि यह पवित्र अनुष्ठान अगर शक्तिपीठ में की जाए तो अत्यंत प्रभावशाली होगी। मंगला गौरी का मंदिर गया के भष्मकूट पर्वत पर स्थित हैं जो कि 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां श्रद्धालु पूजा कर अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यहां देवी सती का वक्ष स्थल गिरा था, जिससे यह अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन शक्तिपीठ बन गया। मान्यता है कि इस मंदिर में माता की अराधना करने से वैवाहिक सुख, आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति, व्यापार, धन धान्य में समृद्धि प्राप्त होती है। जो भी भक्त सच्चे मन से देवी की पूजा करते हैं, वो उसके सभी कष्ट हर लेती हैं। इसलिए इस प्रदोष तिथि के शुभ अवसर पर गया में स्थित शक्तिपीठ मंगलागौरी मंदिर में शिव-गौरी पूजन, चंडी पाठ और हवन का आयोजन किया जा रहा है, श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव एवं देवी मां से आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति के साथ सुखी वैवाहिक जीवन का आशीष पाएं।

शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर , गया, बिहार

शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर , गया, बिहार
बिहार के गया जिले में स्थित मां मंगलागौरी का मंदिर है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि मां मंगलागौरी सबकी मनोकामना पूरी करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव जब अपनी पत्‍नी सती के जले हुए शरीर को लेकर आकाश में व्‍याकुल होकर घूम रहे थे तो माता सती के शरीर के 51 टुकड़े देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में गिरे थे। इन स्‍थानों को शक्तिपीठों के रूप में जाना जाता है। इन्‍हीं में से एक है गया का मंगलागौरी मंदिर। यहां देवी सती का वक्ष यानि (स्‍तन) गया के भस्‍मकूट पर्वत पर गिरा और वो दो पत्‍थर बन गए, जहां मां मंगलागौरी निवास करती हैं। मान्‍यता है कि यहां आकर जो मनुष्‍य इन शिलाओं को स्‍पर्श करता है वो अमरत्‍व को प्राप्‍त करता है।

माना जाता है कि इस मंदिर में आकर जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से मां की पूजा अर्चना करते हैं, मां उसकी झोली खुशियों से भर देती हैं। इस मंदिर का उल्‍लेख, पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण और अन्‍य हिंदू ग्रंथों में भी मिलता है। तांत्रिक कार्यों की सिद्धि के लिए भी इस मंदिर को प्रमुखता दी जाती है। कहते हैं इस मंदिर में मां शक्ति का वास है। इस शक्तिपीठ की एक और विशेषता यह है कि मनुष्‍य अपने जीवन काल में ही अपना श्राद्ध कर्म यहां आकर कर सकते हैं।

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