पंच देवताओं की पूजा पद्धति को ‘पंचायतन पूजा’ कहते हैं। यह स्मार्त सम्प्रदाय की एक पूजा पद्धति है। इस विधि में पाँच देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक पंच तत्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पंच देव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शिव, ब्रह्मांड के रक्षक भगवान विष्णु और सूर्य देव, सूर्य नारायण हैं। जिनमें भगवान गणेश को जल तत्व, शिव जी को पृथ्वी तत्व, विष्णु जी को वायु तत्व, सूर्य देव को आकाश तत्व व देवी दुर्गा को अग्नि तत्व माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव को विशेष स्थान प्राप्त है, यह एकलौते ऐसे देव है जो प्रत्यक्ष रूप में हैं। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, सम्पूर्ण जगत जब अंधकार में डूबा था, तब ब्रह्मा जी के मुख से निकले प्रथम शब्द ‘ॐ’ के तेज से ही सूर्य की उत्पत्ति हुई थी।
वेदों में सूर्य देव को साहस, प्रसिद्धि, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करने वाला देवता बताया गया है। कहा जाता है कि देव सूर्य की उपासना से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। यही कारण है कि भक्त सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनका आशीष प्राप्त करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं, जिनमें से सूर्य गायत्री मंत्र का जाप एवं आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ भी एक है। सूर्य गायत्री मंत्र, सूर्य देव को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। वहीं, आदित्य स्तोत्र पाठ का वर्णन वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जहां ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए इसका वर्णन किया था। मान्यता है कि यदि सूर्य देव को समर्पित रविवार के दिन यह अनुष्ठान किया जाए तो अच्छे स्वास्थ्य और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए जयपुर के श्री गलता जी सूर्य मंदिर में 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और सूर्य देव का आशीष पाएं।