पंच देवताओं की पूजा पद्धति को ‘पंचायतन पूजा’ कहते हैं। यह स्मार्त सम्प्रदाय की एक पूजा पद्धति है। इस विधि में पाँच देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक पंच तत्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पंच देव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शिव, ब्रह्मांड के रक्षक भगवान विष्णु और सूर्य देव, सूर्य नारायण हैं। जिनमें भगवान गणेश को जल तत्व, शिव जी को पृथ्वी तत्व, विष्णु जी को वायु तत्व, सूर्य देव को आकाश तत्व व देवी दुर्गा को अग्नि तत्व माना गया है। शक्ति का एक रूप माँ लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। शुक्रवार का दिन माँ लक्ष्मी को समर्पित है और इस दिन इनकी पूजा करने से भौतिक समृद्धि और कर्ज से राहत मिलती है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी मंत्र का जाप अत्यंत लाभकारी होता है।
कहते हैं कि शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी मंत्र का जाप करने से भक्तों को अपार धन की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार की आर्थिक बाधाओं से सुरक्षा मिलती है। देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से एक है वैभव लक्ष्मी। लक्ष्मी जी के इस स्वरूप को वैभव देने वाला माना गया है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से दरिद्रता से राहत मिलती है और वैभव का आगमन होता है। इसलिए शुक्रवार के दिन यह अनुष्ठान करना फलदायी हो सकता है। यदि यह पूजा किसी शक्तिपीठ में की जाए तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए शुक्रवार को कोल्हापुर स्थित मां शक्तिपीठ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर में 11,000 महालक्ष्मी मंत्र जाप, वैभव लक्ष्मी पूजा और हवन का आयोजन किया जाएगा। इस मंदिर में न केवल भक्त पूजा करने आते हैं, बल्कि सूर्य देव भी साल में तीन बार मां लक्ष्मी को श्रद्धांजलि देते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने वाले भक्तों को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।