ज्योतिषीय शास्त्र के मुताबिक कुंडली में राहु और चंद्रमा की युति से ग्रहण योग बनता है। यह ग्रहण योग व्यक्ति को आर्थिक और मानसिक स्तर पर काफी परेशान करता है। चंद्रमा के साथ राहु के संबंध से चंद्रमा दूषित हो जाता है। इस वजह से जातक के विचारों में नकारात्मकता बढ़ जाती है और बुरे ख्यालों से वे घिर जाते हैं, इस वजह से मानसिक समस्याएं होने लगती हैं जैसे चिंता, अवसाद एवं नशे की लत्त लग जाती है। माना जाता है कि चंद्रमा और राहु का योग हो तो उसे नियमित रूप से भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए। इसके अलावा इस ग्रहण दोष के अन्य अशुभ प्रभावों से बचने के लिए राहु मूल मंत्र जाप एवं चन्द्रमा मूल मंत्र जाप अत्यंत लाभकारी माना गया है।
भगवान शिव को राहु का स्वामी माना जाता है और इसलिए कहते हैं श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में राहु से संबंधित पूजा करवाने से राहु की सभी नकारात्मकता से राहत पायी जा सकती है। वहीं सोमवार का दिन भगवान शिव के अलावा राहु और चंद्रमा को भी समर्पित है, इसलिए इस शुभ दिन पर राहु मूल मंत्र जाप एवं चन्द्रमा मूल मंत्र जाप करने से कुंडली में राहु चंद्रमा के कारण होने वाले इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। माना जाता है कि 27 नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। इसलिए सोमवार एवं स्वाति नक्षत्र के इस शुभ संयोग पर श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में राहु चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा - 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्रमा मूल मंत्र जाप का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर द्वारा इसमें भाग लें और महादेव का आशीष पाएं।