साल 2026 की शुरुआत करें महादेव के दिव्य संरक्षण के साथ। 🕉️✨ रोग, भय और अकाल कष्टों से रक्षा हेतु करवाएं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नववर्ष विशेष शिव रुद्राभिषेक🙏🔥
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2026 नववर्ष विशेष शिव पूजा – दिव्य संरक्षण और रक्षा के लिए 🕉️🙏

नववर्ष विशेष शिव रुद्राभिषेक

2026 में रोग-निवारण, दिव्य संरक्षण एवं अकाल कष्टों से रक्षा हेतु
temple venue
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
pooja date
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साल 2026 की शुरुआत करें महादेव के दिव्य संरक्षण के साथ। 🕉️✨ रोग, भय और अकाल कष्टों से रक्षा हेतु करवाएं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नववर्ष विशेष शिव रुद्राभिषेक🙏🔥

नववर्ष को केवल कैलेंडर का परिवर्तन नहीं, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और नए संकल्पों का आरंभ माना जाता है। मान्यता है कि वर्ष के प्रारंभ में भगवान शिव की आराधना करने से पूरे वर्ष उनके दिव्य संरक्षण की अनुभूति बनी रहती है। इसी भावना के साथ 2026 के नववर्ष पर आयोजित विशेष शिव रुद्राभिषेक रोग-निवारण, मानसिक शांति और अकाल कष्टों से रक्षा के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। सनातन धर्म के अनुसार देवों के देव महादेव को संहारक होने के साथ करुणा और कल्याण का भी अधिपति माना जाता है। यह धारणा है कि जब कोई भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव रुद्राभिषेक करता है, तो भगवान शिव उसके जीवन में व्याप्त भय, तनाव और अस्थिरता को शांत करते हैं।

विशेष रूप से रुद्राभिषेक को शारीरिक रोगों, मानसिक अशांति और बार-बार आने वाली विपत्तियों से मुक्ति प्रदान करने वाला अनुष्ठान माना गया है। इस विशेष पूजा में शिवलिंग का अभिषेक पवित्र जल, दूध, दही, शहद, घी और बिल्व पत्र के माध्यम से किया जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि पंचामृत से किया गया अभिषेक शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है तथा नकारात्मक प्रभावों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। रुद्र मंत्रों के वैदिक उच्चारण के साथ किया गया यह अनुष्ठान वातावरण को भी आध्यात्मिक शक्ति से भर देता है। यह पूजा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी मानी जाती है जो लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, मानसिक भय, दुर्घटनाओं की आशंका या अकाल कष्टों से परेशान रहते हैं।

ऐसी मान्यता है कि शिव कृपा से न केवल वर्तमान कष्टों में राहत मिलती है, बल्कि भविष्य में आने वाली अनहोनी घटनाओं से भी रक्षा होती है। शिव उपासना व्यक्ति के भीतर आत्मबल, धैर्य और विश्वास को मजबूत करती है। 2026 के नववर्ष में यह विशेष शिव रुद्राभिषेक जीवन के लिए एक आध्यात्मिक कवच के समान माना जाता है। यह धारणा है कि इस पूजा के प्रभाव से परिवार में सुरक्षा, संतुलन और शांति बनी रहती है तथा नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव क्षीण होता है। नववर्ष की शुरुआत यदि महादेव की उपासना से की जाए, तो पूरा वर्ष उनके आशीर्वाद से सुरक्षित रहता है। यह नववर्ष विशेष शिव रुद्राभिषेक मध्यप्रदेश स्थित पवित्र ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में संपन्न किया जाएगा, जिसे भगवान शिव का अत्यंत सिद्ध और जाग्रत धाम माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ओंकारेश्वर में किया गया रुद्राभिषेक रोग-निवारण और दिव्य संरक्षण के लिए विशेष फल प्रदान करता है।

इस पावन अनुष्ठान में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लेकर श्रद्धालु अपने और अपने परिवार के लिए महादेव की कृपा और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। 🕉️🙏

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, इन्हें स्वयंभू लिंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नाम के द्वीप पर स्थित है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूप में मौजूद है। जिनमें से एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनकी गणना एक ही की जाती है। ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था। वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है। मान्यता है कि मां नर्मदा भी यहां स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। शास्त्रों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख है।

पौराणिक कथा के अनुसार भोलेनाथ तीनों लोकों के भ्रमण के बाद यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। कहते हैं पृथ्वी पर ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं। रात्रि में शयन आरती के बाद यहां प्रतिदिन चौपड़ बिछाए जाते हैं और गर्भग्रह बंद कर दिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है वहां हर दिन चौपड़ बिखरे पाए जाते हैं। यह तथ्य इस मंदिर के धार्मिक महत्व को और बढा देता है यही कारण है कि सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं।

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