सफलता प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रि महाष्टमी दुर्गा रक्षा महायज्ञ विशेष 1,25,000 नवार्ण मंत्र जाप, दुर्गा सप्तशती एवं नवचंडी महायज्ञ
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नवरात्रि महाष्टमी दुर्गा रक्षा महायज्ञ विशेष

1,25,000 नवार्ण मंत्र जाप, दुर्गा सप्तशती एवं नवचंडी महायज्ञ

सफलता प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए
temple venue
श्री दुर्गा कुंड मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
pooja date
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सफलता प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रि महाष्टमी दुर्गा रक्षा महायज्ञ विशेष 1,25,000 नवार्ण मंत्र जाप, दुर्गा सप्तशती एवं नवचंडी महायज्ञ

हिंदु धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। नवरात्रि की अष्टमी अर्थात आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथानुसार, महिषासुर नाम के एक असुर को भगवान ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था। जिसके चलते उसने तीनों लोकों में हमला कर दिया और देवताओं को पराजित कर दिया। इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा जी से मदद मांगी। महिषासुर को केवल एक स्त्री ही हरा सकती थी। इसलिए त्रिदेवों ने अपनी दिव्य शक्तियों से मां दुर्गा को उत्पन्न किया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध चला। इस दौरान महिषासुर ने मां दुर्गा को भ्रमित करने के लिए कई रूप धारण किए लेकिन अंततः उसने जब भैंसे का रूप धारण किया तो मां दुर्गा मौके का फायदा उठाते हुए अपने त्रिशूल से महिषासुर का वध किया और तीनों लोकों में एक बार फिर से शांति स्थापित की। इसीलिए इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

हिंदु धर्म में, मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दौरान नवार्ण मंत्र का जाप को सबसे प्रभावशाली माना गया है, क्योंकि यह मंत्र मां दुर्गा को नौ रूपों को समर्पित है। यदि इन मंत्रों को जाप नवरात्रि अष्टमी पर किया जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि अष्टमी पर नवार्ण मंत्र का जाप करने से मां दुर्गा का दिव्य आशीष प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। यदि नवार्ण मंत्र के जाप के साथ दुर्गा सप्तशती एवं नव चंडी महाहवन भी किया जाए तो यह अंत्यत और कई गुना अत्यधिक फलदायी हो सकता है। कहा जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से एक दैवीय ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और देवी दुर्गा द्वारा मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए नवरात्रि अष्टमी पर काशी के प्रसिद्ध श्री दुर्गा कुंड मंदिर में 1,25,000 नवार्ण मंत्र जाप, दुर्गा सप्तशती एवं नव चंडी महाहवन का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान आठ ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और मां दुर्गा द्वारा सफलता प्राप्ति एवं मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री दुर्गा कुंड मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश

श्री दुर्गा कुंड मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
भगवान शिव की नगरी काशी में स्थापित श्री दुर्गा कुंड मंदिर, जहाँ माँ आदिशक्ति दुर्गा अदृश्य रूप में विराजमान है। मान्यता है की माता रानी का यह मंदिर आदिकालीन है तथा यह सिद्ध मंदिर काशी के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख स्कन्द पुराण के काशी खंड में भी पाया जाता है। इस मंदिर में माँ दुर्गा यंत्र के रूप में विराजमान है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में रानी भवानी ने करवाया था। इस मंदिर के एक तरफ कुंड है, जिसे दुर्गा कुंड कहा जाता है।

मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद मातारानी ने यहाँ विश्राम किया था। भक्तों में यह आस्था है की माँ दुर्गा यहाँ अपने चौथे स्वरुप कुष्मांडा के रूप में स्थित है। इसलिए नवरात्रि में इस मंदिर में देश के हर एक कोने से असंख्य श्रद्धालु दर्शन एवं पूजा-अर्चना करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने का आशीष प्राप्त करते हैं।

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