असामयिक एवं अकाल मृत्यु प्राप्त पितरों की शांति के लिए देवशयनी एकादशी विशेष नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा
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देवशयनी एकादशी विशेष

नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा

असामयिक एवं अकाल मृत्यु प्राप्त पितरों की शांति के लिए
temple venue
श्री गंगा घाट, हरिद्वार, उत्तराखंड
pooja date
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असामयिक एवं अकाल मृत्यु प्राप्त पितरों की शांति के लिए देवशयनी एकादशी विशेष नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा

एकादशी के दिन श्री हरि की पूजा का विशेष महत्व होता है, विशेषकर देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और पाताल के राजा बलि के यहां निवास करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, वामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांग कर संपूर्ण धरती नाप ली थी। बलि ने भगवान को अपने यहां पधारने का वरदान मांगा, जिसके चलते भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से चातुर्मास तक उनके यहां निवास करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में हरिद्वार को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना गया है। यहां के गंगा घाटों पर गंगा स्नान, पिंड दान और पितरों के निमित्त किए गए कार्यों का विशेष महत्व है। नारायण बलि पूजा का उद्देश्य अकाल एवं असामयिक मृत्यु को प्राप्त पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना और पितृ दोष निवारण करना है। नाग बलि पूजा का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए नारायण बलि और नाग बलि सबसे बड़ी पूजा मानी जाती है।

गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने पक्षीराज गरुड़ देव को बताया है कि अकाल एवं असामयिक मृत्यु (जैसे मर्डर, एक्सीडेंट, आत्महत्या) या फिर बुरे कर्मों के कारण व्यक्ति की आत्मा प्रेत योनि में भटकती है और दूसरों के लिए परेशानी का कारण बनती है। इन आत्माओं की सद्गति के लिए देवशयनी एकादशी पर नारायण बलि और नाग बलि पूजा करवाना अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इस पूजा को किसी पवित्र नदी जैसे गंगा के किनारे, अनुभवी पंडित द्वारा संपन्न करवाना चाहिए। हरिद्वार के गंगा घाट पर संपन्न की गयी नारायण बलि पूजा पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करती है और परिवारजनों को पितृ दोष के प्रभावों से मुक्ति दिलाती है। इसलिए, श्री मंदिर द्वारा गंगा घाट हरिद्वार में आयोजित इस महापूजा में भाग लें और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें। यह पूजा न केवल पितृ दोष से मुक्ति दिलाती है बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाती है।

श्री गंगा घाट, हरिद्वार, उत्तराखंड

श्री गंगा घाट, हरिद्वार, उत्तराखंड
पूरे विश्व में हरिद्वार, एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, इसे कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महाकुंभ के दौरान हजारों लाखों की संख्या में देश-विदेश से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। वहीं, हरिद्वार में कुछ प्राचीन घाट भी हैं जिनकी मान्यता प्राचीन ग्रंथों में भी लिखी हुई है। शास्त्रों में नारायण बलि का मुख्य उद्देश्य पितृदोष निवारण करना और नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना बताया गया है।

श्री गंगा घाट पर इस पूजा को करने से पितृ दोष का निवारण होगा। मान्यता है कि यहां पूरे रीति-रिवाजों के नारायण बलि पूजा आत्मा को शुद्धि प्रदान करते हैं। हरिद्वार में हो रही नारायण बलि, नाग बलि एवं पितृ शांति महापूजा करने से पितरों को शांति मिलती है और कुंडली से पितृ दोष की समस्त नकारात्मकताएं भी दूर हो जाती हैं।

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