विश्व विख्यात धर्मनगरी हरिद्वार में कई ऐसे पौराणिक स्थान हैं, जिनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। यहां मौजूद गंगा घाटों को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान पर गंगा स्नान, पिंड दान और पितरों के निमित्त किए गए कार्यों का विशेष महत्व है। शास्त्रों में नारायण बलि का मुख्य उद्देश्य पितृदोष निवारण करना और नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना बताया गया है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए नारायण बलि, नाग बलि सबसे बड़ी पूजा मानी जाती है और इसके बारे में स्वयं भगवान विष्णु ने पुराणों में बताया है।
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु पक्षीराज गरुड़ देव को बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है या वो किसी दुर्घटना एवं बुरे कर्मों के कारण मरता है तो उसे प्रेत योनि प्राप्त होती है। ऐसे में व्यक्तियों की सद्गति के लिए नारायण बलि, नाग बलि की पूजा करवानी चाहिए। भगवान विष्णु आगे बताते हैं कि इस विशेष पूजा को किसी पवित्र नदी जैसे गंगा के किनारे अनुभवी पंडित द्वारा संपन्न करवाना चाहिए। यही कारण है कि गंगा घाट हरिद्वार जैसी पवित्र स्थल पर पूर्ण रीति-रिवाजों से की गयी नारायण बलि पूजा पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है एवं परिवारजनों को पितृ दोष के प्रभावों से मुक्ति दिलाती है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा गंगा घाट हरिद्वार में आयोजित इस महापूजा में भाग लें और पितृ का आशीष पाएं।