🚩साल 2025 के शुरुआत में 'धन के देवता' लक्ष्मी-कुबेर की ये पूजा है कितनी प्रभावशाली ?
नए साल यानि वर्ष 2025 की शुरुआत होने वाली है, इस नए वर्ष में अगर आप भी धन की प्रचुरता और गरीबी से मुक्ति चाहते हैं तो श्री मंदिर एक विशेष पूजा का आयोजन करने जा रहा है। इस विशेष पूजा में भाग लेने से भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जो धन, वैभव और समृद्धि के स्वामी माने जाते हैं। देवी लक्ष्मी जहां धन और समृद्धि की देवी हैं, वहीं वे चंचल भी हैं, वे लंबे समय तक एक स्थान पर नहीं रहती हैं। इसी कारण लोग देवी लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की भी पूजा करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके द्वारा अर्जित धन बरकरार रहे, बढ़े और सुरक्षित रहे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है और उन्हें धन का देवता भी माना जाता है। उनके पास धन का ऐसा खजाना है जो कभी खत्म नहीं होता। कुबेर धन के संरक्षक भी हैं, उनकी पूजा से धन की स्थिरता बनी रहती है और धन की हानि नहीं होती। देवताओं के कोषाध्यक्ष की उपाधि कुबेर को भगवान शिव ने दी थी।
भारत में ऐसे बहुत कम मंदिर हैं जहां भगवान कुबेर शिवलिंग के रूप में स्थापित हैं। यह मंदिर उत्तराखंड में अल्मोड़ा के पास स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर देश का सबसे पुराना कुबेर मंदिर है। आज भी इस मंदिर में भगवान शिव के रूप में कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी यहां कुबेर भंडारी महाभिषेक करता है उसे अपार धन की प्राप्ति होती है और भगवान कुबेर और भगवान शिव स्वयं भक्तों की आर्थिक परेशानियों से रक्षा करते हैं। इसके अलावा, रुद्राभिषेक के साथ लक्ष्मी श्री सूक्त धन प्रकाश पाठ करने से भक्तों को व्यापार में सफलता मिलती है। इसलिए साल 2025 की शुरुआत पर इस कुबेर भंडारी मंदिर में पहली बार कुबेर भंडारी महाभिषेक एवं लक्ष्मी श्री सूक्तम धन प्रकाश पाठ का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान कुबेर एवं माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करें।