सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आर्थिक स्थिरता के लिए ज्योतिर्लिंग श्रावण सोमवार विशेष ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक
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सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आर्थिक स्थिरता के लिए ज्योतिर्लिंग श्रावण सोमवार विशेष ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक
ज्योतिर्लिंग श्रावण प्रथम सोमवार विशेष

ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक

सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आर्थिक स्थिरता के लिए
temple venue
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , खंडवा, मध्य प्रदेश
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सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आर्थिक स्थिरता के लिए ज्योतिर्लिंग श्रावण सोमवार विशेष ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक

भारत वर्ष में दो तरह के पंचांग का अनुसरण किया जाता है, जिसमें उत्तर भारत के पंचांग में पूर्णिमा के बाद महीने की शुरूआत होती है जबकि दक्षिण भारत के पंचांग में अमावस्या के बाद माह का आरंभ होता है, यही कारण है कि इन दोनों पंचांगों में 15 दिन का अंतर देखने को मिलता है। दक्षिण भारत के पंचांगानुसार श्रावण का पवित्र महीना अमावस्या के अगले दिन से शुरू होता है, जो इस वर्ष 5 अगस्त को है।

शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण के महीने में माता पार्वती ने तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था, इसलिए यह मास अत्यधिक प्रिय है। इस दौरान भगवान शिव की आराधना करने से शीघ्र ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यही कारण है कि पवित्रश्रावण माह के आरंभ होते ही, शिवालयों में जल सहित कुछ विशेष वस्तुएं शिव को अर्पित की जाती हैं, जिसे रुद्राभिषेक कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, अन्य दिनों की अपेक्षा,श्रावण में रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ व लाभकारी माना जाता है। रुद्राभिषेक को लेकर ऐसी मान्‍यता है कि जो भी भक्त जिस कार्य को मन में रखकर भगवान शिव का अभिषेक करता है वो उसकी इच्छा पूरी करते हैं। वहीं माना जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आर्थिक स्थिरता का आशीष देते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, धन के देवता कुबेर भगवान शिव के परम भक्त थे। कुबेर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस ज्योतिर्लिंग में कठोर तपस्या की। इसके लिए उन्होंने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया। भगवान शिव कुबेर की भक्ति से प्रसन्न हुए एवं कुबेर को देवताओं का धनपति बना दिया। तभी से यह माना जाता है कि यहां रूद्राभिषेक करने वाले भक्तों को जीवन में आने वाले आर्थिक समस्याओं से राहत का आशीष मिलता है। वहीं शिव पुराण की मानें तो अगर कोई व्यक्ति कर्ज से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है, EMI चुकाने में सक्षम नहीं है तो उसेश्रावण में सोमवार के दिन ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक करना चाहिए।श्रावण माह में सोमवार के दिन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में होने वाले ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और भोलेनाथ का आशीष पाएं।

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , खंडवा, मध्य प्रदेश

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , खंडवा, मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, इन्हें स्वयंभू लिंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नाम के द्वीप पर स्थित है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूप में मौजूद है। जिनमें से एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनकी गणना एक ही की जाती है। ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था। वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है। मान्यता है कि मां नर्मदा भी यहां स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। शास्त्रों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख है।

पौराणिक कथा के अनुसार भोलेनाथ तीनों लोकों के भ्रमण के बाद यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। कहते हैं पृथ्वी पर ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं। रात्रि में शयन आरती के बाद यहां प्रतिदिन चौपड़ बिछाए जाते हैं और गर्भग्रह बंद कर दिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है वहां हर दिन चौपड़ बिखरे पाए जाते हैं। यह तथ्य इस मंदिर के धार्मिक महत्व को और बढा देता है यही कारण है कि सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं।

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