हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की उपासना के लिए अत्यधिक शुभ और फलदायी माना गया है। पौराणिक कथानुसार गरुण देव ने गुरुवार के दिन ही भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया था, तब से ही गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाने लगा। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह ज्ञान, धर्म, और विवेक का प्रतिनिधित्व करते हैं। बृहस्पति ग्रह का वैवाहिक जीवन, संतान सुख, और सामाजिक प्रतिष्ठा पर गहरा प्रभाव होता है, इसलिए इन्हें कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। ज्योतिष विद्या के अनुसार, बृहस्पति ग्रह का शुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन में असीमित सुख, समृद्धि, और सौभाग्य लाता है। यदि बृहस्पति की स्थिति कुंडली में अनुकूल हो, तो व्यक्ति को विवाह में सुख-शांति, मनचाहा जीवनसाथी, और सामंजस्यपूर्ण संबंध प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, यह व्यक्ति की बुद्धि, सामाजिक स्थिति, और आध्यात्मिकता को भी प्रबल बनाता है। वहीं, अगर बृहस्पति ग्रह की स्थिति प्रतिकूल हो, तो यह विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में कलह, और जीवनसाथी के साथ असंतोष जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
पुराणों में गुरुवार के दिन बृहस्पति ग्रह और भगवान विष्णु की उपासना के लिए 16,000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन को अत्यंत लाभकारी माना गया है। ज्योतिष विद्या के अनुसार इस दिन यह पूजा करने से बृहस्पति ग्रह की प्रतिकूल स्थिति के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। वहीं माना जाता है कि महादेव की नगरी काशी में विराजित श्री बृहस्पति मंदिर में यह पूजा करने से अत्यंत लाभ मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते है और उन्हे यह स्थान भगवान शिव ने दिया था। इसलिए काशी स्थित श्री बृहस्पति मंदिर, में 16000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्ते का आनंद पाने के लिए आशीष प्राप्त करें।