सूर्य और चंद्रमा न सिर्फ धरती पर जीवन के लिए आवश्यक माने जाते हैं बल्कि ज्योतिष में भी ये ग्रह महत्वपूर्ण हैं। सूर्य को ग्रहों का राजा तो चंद्रमा को ग्रहों की रानी कहा जाता है। सूर्य को पिता, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मा, सरकारी कार्य या नौकरी आदि का कारक माना गया है। वहीं चंद्रमा को माता, मन आदि का कारक माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की स्थिति का कुंडली में अच्छा होना जातक को कई परेशानियों से दूर कर देता है, क्योंकि एक आत्मा का कारक ग्रह है और दूसरा मन का। ज्योतिषियों का मानना है कि ये दोनों ग्रह एक-दूसरे से जितना दूर होंगे, यह जातक को उतना ही शुभ परिणाम देंगे। चंद्र, सूर्य से जितना दूर होगा, उतना ही शक्तिशाली होगा।
वहीं जब भी यह दोनों ग्रह कुंडली में युति बनाते हैं तो इसे अमावस्या योग कहा जाता है। यह योग जातकों के लिए अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि चंद्रमा सूर्य से दूर रहने पर ही शुभ परिणाम देते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार ये युति सामान्यतौर पर उन जातकों में होती है जिनका जन्म अमावस्या के दिन होता है। इस युति के कारण जातक मानसिक बीमारी, बेचैनी, चिंता, मूड में बदलाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, करियर एवं व्यवसायिक जीवन में बाधाओं से पीड़ित हो सकता है। यह पूजा जातक को सूर्य चंद्र अमावस्या दोष के प्रभावों को कम करने में मदद करेगी। इस दोष से मुक्ति के लिए 6,000 सूर्य मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप करने की मान्यता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और जीवन में अपनी नई पहचान व उन्नति का आशीष पाएं।