हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन को अत्यंत शुभ माना गया है, वहीं भाद्रपद माह में पड़ने वाली इस तिथि का महत्व और भी अधिक बढ जाता है। भाद्रपद का महीना चातुर्मास का दूसरा पवित्र महीना माना जाता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थ स्थल पर 10 महाविद्याओं की विशेष पूजा करने से देवी मां भक्तों का कल्याण करती हैं। दस महाविद्याओं को मां दुर्गा का उग्र रूप माना जाता है और ये सभी महाविद्याएं सिद्धियां प्रदान करती हैं। इनमें से आठवीं महाविद्या माँ बगलामुखी की पूजा शत्रुओं के विनाश के लिए की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, माँ बगलामुखी की विशेष पूजा शत्रुओं पर विजय, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और न्यायालय के मामलों में विजय प्रदान करा सकती है। वहीं देवी प्रत्यंगिरा आदिशक्ति का एक शक्तिशाली रूप हैं। प्रत्यंगिरा देवी को सभी विनाशकारी शक्तियों द्वारा किए गए हमलों को दूर करने और विनाशकारी शक्तियों के कारण होने वाले प्रभावों से बचाने के लिए जाना जाता है। मां प्रत्यंगिरा देवी को बुरी शक्तियों को खत्म करने और अपने भक्तों की सुरक्षा करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है।
बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच में माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा के आशीर्वाद और सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए शक्तिशाली मंत्र शामिल हैं। प्राचीन शास्त्रों में इन मंत्रों का वर्णन मिलता है। माना जाता है कि इस कवच का पाठ करने से भक्त को दुश्मनों के विरुद्ध शक्ति, साहस और सुरक्षा मिलती है। इस कवच के साथ 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन करना बहुत लाभकारी होता है। यही कारण है कि भाद्रपद पूर्णिमा के शुभ तिथि पर बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ: 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन हरिद्वार के माँ बगलामुखी मंदिर में किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और माँ प्रत्यंगिरा और माँ बगलामुखी से आशीर्वाद प्राप्त करें।