सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए की सबसे शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष की हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, जिसमें से एक है षष्ठी तिथि। इस तिथि पर उन पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु हिंदु कैलेंडर के अनुसार, किसी भी षष्ठी तिथि को हुई हो या उनकी मृत्यु लंबे वक्त से बीमार होने के कारण हुई हो। पितृ पक्ष का समय पितृ दोष के निवारण के लिए भी शुभ माना जाता है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। पितृदोष के कारण जीवन में आर्थिक हानि, गृह क्लेश आदि जैसी कई तरह की समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है।
शास्त्रों के अनुसार, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष के दौरान भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि भगवान शिव के रुद्र रूप को मृत्यु, विनाश और अंततः मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव बाधाओं और कर्मों के असंतुलन को नष्ट करने वाले देव है। इसलिए माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान भगवान शिव के रुद्र रूप को समर्पित 11,000 अघोर मंत्र जाप और शिव रुद्राभिषेक करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिव अघोर मंत्र भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है, जो आत्माओं को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त करने की शक्ति रखता हैं। वहीं रुद्राभिषेक भगवान शिव के रुद्र रूप की सबसे पवित्र और दिव्य पूजा मानी जाती है। यदि यह दिव्य अनुष्ठान किसी ज्योतिर्लिंग में की जाए तो इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए पितृ पक्ष की श्राद्ध षष्ठी तिथि पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर 11,000 अघोर मंत्र जाप और शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। ओंकारेश्वर मंदिर की महिमा का वर्णन स्कंद पुराण, शिव पुराण और वायु पुराण में मिलता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं।