ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों का शुभ या अशुभ दोनों ही प्रभाव पड़ता है और यही बात केतु ग्रह पर भी लागू होती है। केतु को छाया ग्रह माना जाता है। बिना सिर वाले सर्प के आकार के रूप में इस ग्रह का स्वभाव क्रूर होता है, जो तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, अशांति और अन्य मानसिक विशेषताओं से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि अनुकूल केतु अपार ज्ञान, आध्यात्मिकता, विलासिता और बहुत कुछ ला सकता है, लेकिन वहीं जब केतु किसी की जन्म कुंडली में अशुभ या कमजोर स्थिति में होता है, तो यह कई तरह की समस्याओं को जन्म देता है। इसके कारण जीवन में अलगाव, हानि, लक्ष्यहीन, भटकाव और भ्रम जैसी भावना पैदा होती है, जो स्थिरता एवं विकास को रोक सकता है।
हिंदू धर्म में, भगवान गणेश को केतु का देवता माना जाता है। इसलिए, केतु के कष्टों से परेशान लोगों को भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। वहीं यदि यह पूजा बुधवार के दिन और केतु द्वारा शासित नक्षत्र में की जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है। इस बार बुधवार के दिन अश्विनी नक्षत्र भी लग रहा है, जिसका स्वामी केतु हैं। ऐसे में इस विशेष संयोग पर श्री मंदिर द्वारा उज्जैन में स्थित श्री बड़ा गणेश मंदिर में 7,000 केतु मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। अंक ज्योतिष के अनुसार, अंक 7 का स्वामी ग्रह केतु है। इसलिए, केतु मूल मंत्र का 7,000 बार जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और जीवन में स्थिरता एवं उद्देश्य की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।