👉त्रिवेणी संगम पर शुक्रवार के दिन 21 ब्राह्मणों द्वारा कराएं मां लक्ष्मी का महानुष्ठान 🙏
हिंदू धर्म में त्रिवेणी संगम को अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। जो कि प्रयागराज में स्थित है। प्रयागराज को तीर्थराज भी कहा जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो अपार आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। शास्त्रों की मानें तो सनातन धर्म में माता लक्ष्मी का विशेष स्थान है। शुक्रवार के दिन इनकी पूजा करने की परंपरा है, कहते हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को भौतिक समृद्धि और पुराने कर्जों से मुक्ति का वरदान मिलता है। वहीं, यह भी कहा जाता है कि इस दौरान किया गया कोई भी धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत फलदायी हो सकता है। इसलिए इस शुक्रवार के शुभ दिन पर 21 ब्राह्मणों द्वारा पूर्ण वेदाचार के साथ महालक्ष्मी यज्ञ आयोजित किया जा रहा है। महालक्ष्मी यज्ञ के साथ देवी लक्ष्मी का आवाह्न करने के लिए कुमकुम अर्चना और 1100 कनकधारा स्तोत्र पाठ प्रमुख अनुष्ठान हैं। कुमकुम अर्चना में मां लक्ष्मी की प्रतिमा या फिर श्री यंत्र पर चावल, कुमकुम व हल्दी अर्पित कर उनका आह्वान किया जाता है। इसके बाद 1100 कनकधारा स्तोत्र का पाठ भी किया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार, इस स्तोत्र की रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। एक बार भिक्षा मांगते हुए वे एक गरीब ब्राह्मण के घर पहुँचे। उन्हें देखकर ब्राह्मण की पत्नी शर्मिंदा हो गई, क्योंकि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। आँसू बहाते हुए उसने विनम्रतापूर्वक शंकराचार्य को वह एकमात्र चीज़ दे दी जो उसके पास थी - कुछ सूखे आंवले। उनकी दुर्दशा देखकर शंकराचार्य दया से भर गए और तुरंत देवी महालक्ष्मी को संबोधित करते हुए एक स्तोत्र की रचना की, जो धन और समृद्धि प्रदान करती है। जैसे ही उन्होंने स्तोत्र का पाठ किया, ऐसा कहा जाता है कि सोने की वर्षा होने लगी। "कनक" शब्द का अर्थ सोना और "धारा" का अर्थ प्रवाह है। स्वर्ण वर्षा के कारण, यह स्तोत्र कनकधारा स्तोत्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसलिए त्रिवेणी संगम एवं देवी लक्ष्मी को समर्पित शुभ दिन शुक्रवार को प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में महालक्ष्मी यज्ञ, कुमकुम अर्चना एवं 1100 कनकधारा स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष अनुष्ठान 21 ब्राह्म्णों द्वारा पूर्ण विधि विधान के साथ संपन्न किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लें और जीवन में धन की प्रचुरता एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।