हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का पावन पर्व बड़ी श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना अत्यंत शुभ होता है तथा इससे अपार आध्यात्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर विष्णु के आठवें अवतार, भगवान श्रीकृष्ण की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई गई एकादशी संबंधी कथा के अनुसार, प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगर में सुकेतु नामक राजा अपनी रानी शैव्या के साथ निवास करते थे। शाही वैभव के बावजूद, वे अत्यंत दुःखी थे, क्योंकि उनके कोई संतान नहीं थी। यह चिंता उन्हें सदैव व्यथित करती थी कि उनके निधन के पश्चात उनके श्राद्ध एवं पितृ-कर्मों को संपन्न करने वाला कोई नहीं रहेगा। इसी कारण, वे अपना राज्य त्यागकर निराश मन से वन में भटकने लगे। एकादशी के दिन वे भ्रमण करते हुए मानसरोवर के समीप स्थित एक आश्रम पहुंचे, जहाँ ऋषियों ने उन्हें स्नेहपूर्वक आश्रय दिया। उनके दुःख का कारण जानने के पश्चात ऋषियों ने उन्हें संतान प्राप्ति हेतु श्रद्धा एवं नियमपूर्वक एकादशी व्रत करने की सलाह दी। ऋषियों के आदेशानुसार, राजा एवं रानी अपने राज्य लौट आए, संकल्पपूर्वक एकादशी व्रत का पालन किया तथा अटूट श्रद्धा एवं भक्ति के साथ इसका अनुष्ठान संपन्न किया।
भगवान विष्णु की दिव्य कृपा से राजा सुकेतु और रानी शैव्या को शीघ्र ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तभी से एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है, विशेष रूप से वे भक्त जो अपने संतानों की खुशहाली और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं। इस शुभ दिन पर भक्तजन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं, जिन्हें लड्डू गोपाल या संतान गोपाल के रूप में जाना जाता है। ऐसा शास्त्रों में उल्लेखित है कि एकादशी के दिन लड्डू गोपाल की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से संतान एवं परिवार के सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और मंगलमय जीवन की प्राप्ति होती है। इस पवित्र अवसर के सम्मान में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में 11,000 संतान गोपाल मंत्र जाप, श्री लड्डू गोपाल पंचामृत अभिषेक और संतान सुख प्राप्ति हवन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में सहभागी बनें और अपने परिवार की सुख-शांति एवं समृद्धि हेतु भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें।