🙏साल 2025 के पहले रविवार को भैरव पूजा में भाग लें और अपने जीवन में धन, समृद्धि और सुरक्षा को आमंत्रित करें। ✨
शास्त्रों के अनुसार, सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी विशेष देवता को समर्पित होता है, और उस देवता की उनके निर्धारित दिन पर पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इनमें रविवार भी एक विशेष दिन है। यह दिन भगवान भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त रविवार को भगवान भैरव की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भैरव का अर्थ है 'रक्षा करने वाला।' बाबा भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार हैं, जिनके दो मुख्य रूप हैं- काल भैरव और बटुक भैरव। कथा के अनुसार, एक बार जब माँ पार्वती ने दारुक नमक असुर का वध करने के लिए माँ काली का विनाशकारी रूप धारण किया तो वो नियंत्रण से बाहर हो गयीं। माता को पुनः चेतना में लाने के लिए भगवान शिव ने एक पांच साल के बालक का रूप धारण किया और देवी को माँ कहकर पुकारने लगे जो सुनकर माँ का ह्रदय पिघल गया और उन्होंने वापस पार्वती का रूप धारण कर लिया। माता को शांत करने के लिए भगवान शिव ने जिस रूप को धारण किया था उन्हीं को 'बटुक भैरव' कहते हैं।
भगवान भैरव के बाल रूप श्री बटुक भैरव को धन और समृद्धि का दाता माना जाता है। वहीं दूसरी ओर, स्वर्णाकर्षण भैरव पूजा धन और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए की जाती है, जिससे आठ महान सिद्धियों की प्राप्ति होती है। भगवान भैरव के इस रूप की पूजा करने से ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, जीवन में स्थिरता और प्रतिकूलताओं से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। भगवान शिव के निवास स्थान काशी में यह पूजा करना और भी शुभ माना जाता है क्योंकि भगवान भैरव को भगवान शिव के रूपों में से एक के रूप में जाना जाता है। वैसे तो भगवान भैरव की पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन रविवार का दिन भगवान भैरव की पूजा के लिए सबसे शुभ और फलदायी माना जाता है। इसलिए साल 2025 के पहले रविवार को काशी में स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप, बटुक भैरव स्तोत्र पाठ एवं हवन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करें।