इस बगलामुखी जयंती नज़र दोष और अदृश्य बाधाओं से बचाव के लिए माँ बगलामुखी और भैरव का दिव्य संरक्षण प्राप्त करें। 🙏✨
दस महाविद्याओं में से आठवीं देवी, माँ बगलामुखी की जयंती वैशाख शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन माँ ने हरिद्रा सरोवर से दिव्य रूप में प्रकट होकर सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। पौराणिक कथा के अनुसार पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में जब पृथ्वी पर जब मदन नाम के असुर ने हाहाकर मचा दिया था, तब भगवान विष्णु इस संकट का समाधान जानने भगवान शिव के पास पहुँचे। शिव ने बताया कि इस राक्षस का संहार केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं। भगवान विष्णु की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीविद्या ने माँ बगलामुखी के रूप में प्रकट होकर राक्षस का संहार करके समस्त प्राणियों की रक्षा की और पृथ्वी को विनाश से बचाया। तभी से बगलामुखी जयंती को माँ बगलामुखी की साधना के लिए सर्वोत्तम अवसर माना जाने लगा।
तभी से माँ बगलामुखी की साधना को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि वे शत्रु नाश, संकट निवारण और दैवीय सुरक्षा प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। इसीलिए यह दिन माँ बगलामुखी की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मान्यता है कि माँ की आराधना से नजर दोष, शत्रु बाधा और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है तथा वाणी में प्रभाव, मन में स्थिरता और जीवन में विजय प्राप्त होती है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा का भी विशेष महत्व है, जो भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप हैं। कहते हैं कि माँ बगलामुखी और भगवान भैरव की संयुक्त आराधना साधक को दुगुनी आत्मिक शक्ति, सुरक्षा और सिद्धि प्रदान करती है।
जानें नज़र दोष के प्रभाव और बचाव हेतु शास्त्रों में वर्णित सबसे प्रभावी उपाय का रहस्य 🔮🙏👁️🗨️
नज़र दोष या बुरी नज़र एक ऐसी धारणा है, जो न केवल हिंदू धर्म, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों में भी प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति ईर्ष्या या जलन की दृष्टि से किसी की सुख-समृद्धि, सौंदर्य या सफलता को देखता है, तो उसकी नकारात्मक ऊर्जा सामने वाले के जीवन में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, करियर में रुकावटें, पारिवारिक अशांति और व्यवसाय में बाधाएँ जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में नकारात्मकता से बचाव के लिए उचित पूजा और तंत्र-मंत्र विधियाँ की जाती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, इन अदृश्य शक्तियों और नजर दोष से मुक्ति के लिए विशेष तांत्रिक और वैदिक अनुष्ठानों का आयोजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है क्योंकि एक तरफ जहां भगवान भैरव, अपने बाल रूप बटुक भैरव में, विशेष रूप से रक्षा कवच प्रदान करते हैं। वहीं माँ बगलामुखी, वाणी और विचार पर नियंत्रण देने वाली देवी हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती हैं और जीवन में संतुलन लाती हैं। इसीलिए मां बगलामुखी जयंती के शुभ अवसर पर श्री मंदिर द्वारा मध्यरात्रि में दो दिव्य अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है जिनमें शामिल हैं-
नज़र दोष शांति बटुक भैरव रक्षा कवच तंत्रोक्त यज्ञ जोकि काशी के श्री बटुक भैरव मंदिर में आयोजित किया जाएगा।
बगलामुखी हवन जोकि उज्जैन के माँ बगलामुखी मंदिर में सम्पन्न होगा।
इन अनुष्ठानों में भाग लेकर आप भी बुरी नज़र, तंत्र बाधा और सभी प्रकार की नकारात्मकता से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं और माँ बगलामुखी तथा भगवान भैरव का दिव्य आशीर्वाद पा सकते हैं।