🚩क्यों कहते हैं राहु को कलयुग का राजा? 👇
👉 क्या राहु के नकारात्मक प्रभावों को मां बगलामुखी और बाबा भैरव कर सकते हैं कम ? 👇
सनातन धर्म में राहु को एक पापी एवं अशुभ ग्रह माना गया है, इसलिए कुंडली में राहु का नाम सुनते ही लोग सहम जाते है। कहा जाता है कि राहु के नकारात्मक प्रभाव किसी भी राजा को रंक बना सकते हैं। राहु को कलयुग का राजा माना गया है। इसलिए माना जाता है कि राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए कलयुग की देवी एवं देवता मां बगलामुखी और बाबा भैरव की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इन देवी-देवताओं के हाथ में हंटर यानी पाश है जिससे नौ ग्रह डरते हैं। शनिवार का दिन मां दुर्गा के उग्र स्वरूपों यानी 10 महाविद्याओं की विशेष पूजा के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। जिनमें आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी भी शामिल हैं। माँ बगलामुखी का तंत्र विद्या में अद्वितीय स्थान है। इन्हें दुश्मनों के मन और बुद्धि को नियंत्रित करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इसी कारणवश मां बगलामुखी को 'शत्रु बुद्धि विनाशिनी' भी कहा जाता है, क्योंकि वे शत्रुओं के बुरे इरादों को नष्ट कर सकती हैं। वहीं भगवान शिव के पांचवे अवतार बाबा भैरव की पूजा भी नकारात्मक शक्तियों के विनाश के लिए की जाती है। मान्यता है कि बाबा भैरव की पूजा से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए मांं बगलामुखी एवं बाबा काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। राहु, जो भ्रम, छल, भय और अवरोध उत्पन्न करने वाले प्रभावों के लिए प्रसिद्ध है। वह विशेष रूप से मानसिक उलझन, नकारात्मक विचार, छिपे हुए शत्रु और प्रतिकूल परिस्थितियों को जन्म देता है। ऐसे में, इसके प्रभावों को संतुलित करने के लिए माँ बगलामुखी की साधना एवं बाबा भैरव की पूजा अत्यधिक लाभदायक मानी जाती है। इसलिए मां बगलामुखी को समर्पित शनिवार एवं राहु द्वारा शासित शतभिषा नक्षत्र में हरिद्वार में स्थित मां बगलामुखी मंदिर में मां बगलामुखी तंत्र युक्त यज्ञ, बटुक भैरव आपदा हरण पूजन एवं राहु ग्रह शांति हवन का आयोजन किया जा रहा है। माना जाता है कि यह पूजा करने से राहु की वजह से उत्पन्न होने वाले अवरोध, भ्रम और दुर्भाग्य को दूर करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और मां बगलामुखी और बाब काल भैरव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।