💰✨ क्या आपकी समृद्धि का मार्ग भी थम सा गया है?
🔮💫 कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं बृहस्पति-राहु युति दोष?
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना गया है। जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है। यह समय साधना, पूजा-पाठ और ग्रह शांति अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवधि को राहु-गुरु की युति से बनने वाले 'गुरु चांडाल योग से मुक्ति पाने के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है। मान्यता है कि इस पवित्र पर्व के दौरान पड़ने वाले गुरुवार के दिन यदि त्रिवेणी संगम पर 18,000 राहु मूल मंत्र जाप, 16,000 बृहस्पति मूल मंत्र जाप और हवन किया जाए, तो राहु-गुरु की युति दोष से मुक्ति मिल सकती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, राहु-गुरु की युति से बनने वाला 'गुरु चांडाल योग' व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की बाधाएं उत्पन्न कर सकता है। यह योग न केवल कुंडली में मौजूद शुभ योगों को नष्ट कर देता है, बल्कि आर्थिक तंगी, निर्णय लेने में भ्रम, सामाजिक कलंक और मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है।
शास्त्रों में राहु को एक प्रभावशाली ग्रह बताया गया है, जो जीवन में अचानक बदलाव और अप्रत्याशित घटनाओं का कारण बन सकता है। वहीं, भगवान विष्णु को ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ बृहस्पति का स्वरूप माना गया है, जिन्हें ग्रहों का गुरु कहा जाता है। शास्त्रों में यह भी उल्लेखित है कि बृहस्पति देव स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं, जिनकी कृपा से ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इसलिए, इस पूजा के माध्यम से राहु के साथ-साथ बृहस्पति के अशुभ प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। विशेषकर महाकुंभ की शुभ अवधि में त्रिवेणी संगम पर यह अनुष्ठान करने से यह अत्यधिक प्रभावी होता है। इसी कारण, इस विशेष पूजा का आयोजन महाकुंभ नगरी में स्थित त्रिवेणी संगम पर किया जा रहा है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लें और राहु के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पाएं।