सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए महाशिवरात्रि ब्रह्म मुहूर्त संयुक्त विशेष काशी-हरिद्वार महारुद्र महोत्सव: 10008 बेलपत्र अर्चना एवं शिवलिंग गंगाजल अभिषेक
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महाशिवरात्रि ब्रह्म मुहूर्त संयुक्त विशेष

काशी-हरिद्वार महारुद्र महोत्सव: 10008 बेलपत्र अर्चना एवं शिवलिंग गंगाजल अभिषेक

सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए
temple venue
श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर, हरिद्वार, काशी, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश
pooja date
27 February, Thursday, महाशिवरात्रि
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सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए महाशिवरात्रि ब्रह्म मुहूर्त संयुक्त विशेष काशी-हरिद्वार महारुद्र महोत्सव: 10008 बेलपत्र अर्चना एवं शिवलिंग गंगाजल अभिषेक

सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह महापर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों में इसे भगवान शिव और माता शक्ति के दिव्य मिलन का प्रतीक नहीं, बल्कि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट होने का पावन दिवस भी माना गया है, जिसकी पूजा सबसे पहले ब्रह्मा और विष्णु जी ने की थी। यह दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय होता है। यही कारण है कि इस दिन भक्त अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिनमें रुद्रभिषेक, पूजा-अर्चना, और मनपसंद भोग जैसे सफेद मिठाई, हलवा, दही, भांग, पंचामृत और बेल पत्थर अर्पित करना शामिल है।

जानें, क्यों महादेव को प्रिय है बेल पत्थर और कैसे इससे हुई थी उनकी पीड़ा शांत? 🕉️🔱🔥

बेल पत्र के महत्व को उजागर करने के लिए शिवपुराण में बताया गया है कि जब समुद्र मंथन से निकले विष के कारण संसार पर संकट मंडराने लगा था, तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को गले में धारण कर लिया। इससे उनका शरीर तपने लगा और पूरी सृष्टि में आग जैसी गर्मी फैल गई। इस कारण धरती के सभी प्राणियों का जीवन कठिनाई में आ गया। सृष्टि के हित में विष के असर को समाप्त करने के लिए देवताओं ने शिव जी को बेल पत्र खिलाए, जिससे विष का प्रभाव कम हो गया। तभी से शिव जी को बेल पत्र प्रिय हो गए और उन्हें बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा बन गई। इसीलिए महाशिवरात्रि के चौथे प्रहर में पड़ने वाले ब्रह्म मुहूर्त में काशी के ओंकारेश्वर मंदिर और हरिद्वार के श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में 5000 बेल पत्र अर्चना और शिवलिंग गंगाजल अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त के शुभ समय पर आयोजित की जा रही है, क्योंकि पुराणों के अनुसार, यही वह समय है जब देवता धरती पर आते हैं। सूर्योदय से पहले का समय इस रूप में विशेष माना जाता है, क्योंकि पृथ्वी पर इस दौरान सकारात्मक ऊर्जा का सबसे अधिक संचार होता है।
गंगाजल से शिवलिंग अभिषेक का महत्व 🕉️✨

शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त श्रद्धा से शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं, उन्हें भगवान शिव उनसे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। शिव पुराण में वर्णित है कि महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए मां गंगा को धरती पर लाने का संकल्प लिया था। लेकिन गंगा का वेग अत्यधिक तीव्र था, जिसे रोकने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी की सलाह पर शिवजी की तपस्या की। भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया, जिससे उनका वेग शांत हुआ। तभी से शिवजी को "गंगाधर" कहा जाता है। आप भी महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस विशेष 10008 बेलपत्र अर्चना एवं शिवलिंग गंगाजल अभिषेक अनुष्ठान में भाग लें और शिव की दिव्य कृपा प्राप्त करें।

श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर, हरिद्वार, काशी, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश

श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर, हरिद्वार, काशी, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश
केदारनाथ चार धाम यात्रा में प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे भगवान शिव के निवास के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि नेपाल के काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी रहती है। इस महत्व को देखते हुए, नेपाल के राजा ने काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाई, और हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा नदी के तट के पास उसी पवित्र पत्थर से एक शिव लिंगम की स्थापना की। हरिद्वार में, पशुपतिनाथ महादेव मंदिर नेपाल और भारत के बीच साझा प्राचीन संस्कृति के प्रतीक के रूप में स्थापित है। माना जाता है कि पशुपतिनाथ की पूजा करने वाले भक्तों को समृद्धि, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिव लिंग ग्रह दोषों के प्रभाव को कम करता है, राहु-केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सफलता व संतुष्टि की प्राप्ति होती है।

भोलेनाथ की नगरी काशी में स्थित ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। भगवान शिव के इस अति प्राचीन मंदिर को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। काशी खंड के 86वें अध्याय में इस मंदिर का जिक्र किया गया है। इतना ही नहीं शिव महापुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य और महात्म्य की कथा दी गई है। बताया जाता है कि यहां पर शिव पंचायत के पांच प्रतीक मौजूद थे, लेकिन वर्तमान में 3 शिवलिंग जिनमें अकारेश्वर, ओंकारेश्वर और मकरेश्वर स्थापित हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन कर लेने से ब्रह्मांड के सभी शिव मंदिरों के दर्शन के बराबर फल प्राप्त होता है। बताया जाता है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने यहां बैठकर तपस्या की थी। श्रृष्टि के निर्माण के बाद उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया था जिसके बाद भोलेनाथ इस स्थान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव के आशीर्वाद की कामना करने वाले भक्तों के लिए ये मंदिर प्रमुख केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से जातक को आध्यात्मिक ज्ञान और जन्म- मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।

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आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

पार्टनर पूजा

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पारिवारिक पूजा

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श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
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पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

संयुक्त परिवार पूजा

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 6 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव को पुष्पांजलि के साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे से युक्त भोग अर्पित किया जाएगा।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

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