🔹रविवार को भगवान भैरव की पूजा इतनी शुभ क्यों मानी जाती है?🙏
शास्त्रों के अनुसार, हर दिन किसी विशेष देवता को समर्पित होता है, और उस दिन उनकी पूजा करने से विशेष फल मिलते हैं। उसी तरह रविवार भगवान भैरव की पूजा का दिन माना गया है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भैरव जी की सच्चे मन से पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसी कारण इस रविवार को काशी स्थित श्री बटुक भैरव मंदिर में स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप, बटुक भैरव स्तोत्र पाठ और विशेष हवन का आयोजन किया जा रहा है। काशी को भगवान शिव की नगरी कहा गया है और भगवान भैरव शिव के ही रौद्र रूप माने जाते हैं। यहां पूजा करने से दोगुना पुण्य मिलता है। धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। वे अपने हाथ में अक्षय पात्र धारण किए हुए हैं, जो अनंत धन और समृद्धि का प्रतीक है।
🔹माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर ने स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा क्यों की?🤔
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि देवताओं और असुरों के बीच सौ वर्षों तक चले युद्ध के कारण भगवान कुबेर का खजाना लगभग खत्म हो गया और माँ लक्ष्मी भी धनहीन हो गई थीं। तब वे भगवान शिव के पास सहायता के लिए पहुँचे। शिवजी ने नंदी को भेजकर स्वर्णाकर्षण भैरव की उपासना का उपाय बताया। फिर देवी लक्ष्मी और कुबेर ने कठोर तपस्या करके स्वर्णाकर्षण भैरव को प्रसन्न किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भैरव प्रकट हुए और अपने चारों हाथों से सोने की वर्षा की, जिससे देवताओं की समृद्धि लौट आई। ऐसी मान्यता है कि स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा से आर्थिक तंगी, कर्ज और बाधाएं दूर होती हैं। भगवान भैरव के बाल रूप बटुक भैरव को भी धन-संपत्ति देने वाला माना जाता है। इसलिए रविवार को इन दोनों रूपों की पूजा करने से आर्थिक उन्नति और कर्जमुक्ति का आशीर्वाद मिलता है। श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित इस विशेष पूजा में भाग लेकर भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करें।