सनातन धर्म में शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान हनुमान और शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम माना गया है। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की उपासना करने से शनि के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो त्रेतायुग से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, लंकापति रावण ने अपने प्रभुत्व को साबित करने के लिए अन्य ग्रहों के साथ शनिदेव को भी बंदी बना लिया था। बाद में जब भगवान हनुमान माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, तो उन्होंने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया। इस पर कृतज्ञ शनिदेव ने वचन दिया कि हनुमान जी के भक्तों पर शनि का प्रतिकूल प्रभाव कभी नहीं पड़ेगा। यही कारण है कि शास्त्रों में शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा का विधान बताया गया है। मान्यता यह भी है कि यदि हनुमान जी की पूजा के साथ शनिदेव की भी पूजा की जाए, तो इसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार को मृत संजीवनी मंत्र का जाप, शनि मूल मंत्र का जाप और तिल के तेल से अभिषेक करना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। कहा जाता है कि इस अनुष्ठान से कठिनाइयों और विलंबों का निवारण होता है तथा साहस और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं यदि यह पूजा किसी विशेष मंदिर में की जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है। इसलिए शनिवार के दिन उज्जैन में स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में 1008 मृत संजीवनी मंत्र जाप, 1008 शनि मूल मंत्र जाप और तिल तेल अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लें और हनुमान जी और शनिदेव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।