🔹क्या शनि अमावस्या आपकी काल सर्प दोष संबंधी चुनौतियों का अंत कर सकती है? 🌑
शनि अमावस्या को अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है। यह दिन किसी भी पूजा-अर्चना और आध्यात्मिक अनुष्ठान के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है। 29 मार्च, 2025 को वर्ष की पहली और सबसे महत्वपूर्ण शनि अमावस्या आ रही है, जो आध्यात्मिक साधना और उपचारात्मक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इसी कारण, इस पावन अवसर पर काल सर्प दोष शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक का भव्य आयोजन किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति सपनों में साँप या मृत व्यक्तियों को देखते हैं। वे अकेलापन, गुस्सा, व्यापार में नुकसान, रिश्तों में परेशानी और खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से जूझ सकते हैं। यह दोष तब बनता है जब कुंडली में सभी सात ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इसे ज्योतिष में अशुभ योग माना जाता है, जो जीवन में विभिन्न प्रकार की बाधाएँ लाता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को अलगाव, भ्रम, लक्ष्यहीनता और बेचैनी का अनुभव हो सकता है, जिससे रिश्तों और वैवाहिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, ज्योतिष में इसके निवारण के उपाय बताए गए हैं, जिनमें काल सर्प दोष शांति पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि यह संरेखण जीवन में बाधाएँ उत्पन्न करता है, जिससे अलगाव, भ्रम, लक्ष्यहीनता और व्याकुलता जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जो रिश्तों और वैवाहिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में इस दोष को शांत करने के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं। राहत पाने के लिए काल सर्प दोष शांति पूजा को अत्यंत प्रभावी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड के राहु पैठानी मंदिर में की जाने वाली यह पूजा और भी अधिक शक्तिशाली होती है, क्योंकि वहाँ भगवान शिव और राहु, दोनों की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। चूँकि राहु और केतु भगवान शिव के प्रबल भक्त माने जाते हैं, इसलिए यह विश्वास किया जाता है कि शिव की पूजा करने से इस दोष के हानिकारक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, पांडवों ने भी अपने संघर्षों और कष्टों के निवारण हेतु इस मंदिर में भगवान शिव और राहु की पूजा की थी। अब, श्री मंदिर के माध्यम से इस शुभ पूजा में भाग लेने का अवसर आपके पास भी है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर निर्भयता, स्थिरता एवं समग्र कल्याण की प्राप्ति करें और अपने जीवन की बाधाओं को दूर करें।