🚩राहु को क्यों कहते हैं कलयुग के राजा?👇
👉राहु के अशुभत्व से कैसे मुक्ति दिलाएंगी देवी बगलामुखी?👇
हिंदू धर्म में हर महीने की शुक्ल अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी को मां दुर्गा के उग्र स्वरूपों यानी 10 महाविद्याओं की विशेष पूजा के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। इनमें आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी भी शामिल हैं, जिन्हें दुश्मनों के मन और बुद्धि को नियंत्रित करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि उन्हें 'शत्रु बुद्धि विनाशिनी' भी कहा जाता है, क्योंकि वे शत्रुओं के बुरे इरादों को नष्ट कर सकती हैं। वहीं राहु एक पापी एवं अशुभ ग्रह है, इसलिए कुंडली में राहु का नाम सुनते ही लोग सहम जाते है। राहु को कलयुग का राजा माना गया है, इसलिए इनके अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए लोग कलयुगी देवता कहे जाने वाले पंचमुखी हनुमान, मां काली, देवी बगलामुखी एवं भगवान भैरव की अराधना करते हैं क्योंकि माना जाता है इनके हाथ में हंटर यानी पाश है जिससे नौ ग्रह डरते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, राहु एवं माँ बगलामुखी के बीच एक गहरा संबंध माना जाता है। राहु, जो भ्रम, छल, भय और अवरोध उत्पन्न करने वाले प्रभावों के लिए प्रसिद्ध है। वह विशेष रूप से मानसिक उलझन, नकारात्मक विचार, छिपे हुए शत्रु और प्रतिकूल परिस्थितियों को जन्म देता है। ऐसे में, इसके प्रभावों को संतुलित करने के लिए माँ बगलामुखी की साधना अत्यधिक लाभदायक मानी जाती है। वहीं, माँ बगलामुखी को "स्तम्भन शक्ति" की देवी कहा जाता है, अर्थात् उनकी शक्ति नकारात्मक व विरोधी शक्तियों, बाधाओं व शत्रुओं को रोकने की क्षमता रखती है। राहु की वजह से उत्पन्न होने वाले अवरोध, भ्रम और दुर्भाग्य को दूर करने के लिए माँ बगलामुखी का आशीर्वाद अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसलिए दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर हरिद्वार के मां बगलामुखी मंदिर में राहु ग्रह शांति हवन एवं बगलामुखी महाविद्या तंत्र युक्त यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा व दुर्भाग्य से मुक्ति का आशीष पाएं।