आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्तों में आनंद प्राप्ति के लिए सफला एकादशी विशेष 16,000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन
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सफला एकादशी विशेष

16,000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप एवं सुदर्शन हवन

आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्तों में आनंद प्राप्ति के लिए
temple venue
श्री बृहस्पति मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
pooja date
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आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्तों में आनंद प्राप्ति के लिए सफला एकादशी विशेष 16,000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन

सनातन धर्म में सफला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक विशेष तिथि है। शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी अपने नाम के अनुसार ही हर कार्य को सफल बनाने वाली मानी गई है। यही कारण है कि सफला एकादशी पर सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान शुभ और फलदायी माने जाते हैं। हर वर्ष पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इसके अलावा पौष मास को विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान विवाह काल भी रहता है। इसी कारणवश सफला एकादशी पर 16,000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप एवं सुदर्शन हवन करना कई गुना लाभकारी हो सकता है, क्योंकि ज्योतिष विद्या के अनुसार, यदि बृहस्पति की स्थिति कुंडली में अनुकूल हो, तो व्यक्ति को विवाह में सुख-शांति, मनचाहा जीवनसाथी, और सामंजस्यपूर्ण संबंध प्राप्त होते हैं। वहीं, अगर बृहस्पति ग्रह की स्थिति प्रतिकूल हो, तो यह विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में कलह, और जीवनसाथी के साथ असंतोष जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है। पुराणों के अनुसार बृहस्पति ग्रह के अशुभ प्रभावों से राहत पाने के लिए भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए, क्योंकि भगवान विष्णु, बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इसलिए श्री मंदिर द्वारा सफला एकादशी के शुभ संयोग पर काशी में स्थित श्री बृहस्पति मंदिर, में 16000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन का आयोजन कराया जा रहा है। इस बार सफला एकादशी गुरुवार के दिन पड़ रही है और गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देव बृहस्पति को समर्पित माना जाता है। ऐसे में यह पूजा कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है। पौराणिक कथानुसार गरुण देव ने गुरुवार के दिन ही भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया था, तब से ही गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाने लगा। वहीं माना जाता है कि महादेव की नगरी काशी में विराजित श्री बृहस्पति मंदिर में यह पूजा करने से अत्यंत लाभ मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते है और उन्हे यह स्थान भगवान शिव ने दिया था। आप भी श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस पूजा में भाग लें और देव बृहस्पति और भगवान विष्णु का से आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्तों में आनंद प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री बृहस्पति मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश

श्री बृहस्पति मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
महादेव की नगरी काशी में श्री बृहस्पति मंदिर का विशेष स्थान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक मान्यता यह है कि अनादि काल से इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते हैं। पौराणिक काल में भगवान शिव ने जब ये नगरी स्थापित की तो सभी देव इस मोक्ष नगरी में निवास करने के लिए उत्साहित थे। मान्यता है कि उस दौरान खुद देवों के देव महादेव ने गुरु बृहस्पति को यहां स्थान दिया था। जिसके बाद से ही आज तक गुरुदेव बृहस्पति के इस मंदिर का स्थान काशी के सभी प्राचीन मंदिरों में सबसे ऊंचा स्थान माना जाता है।

मोक्ष की नगरी काशी में दशाश्वमेध घाट पर स्थित इस मंदिर में भक्तों की समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए रुद्राभिषेक और गुरु शांति यज्ञ का आयोजन किया जाता है। वहीं बृहस्पति के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए यहां गुरुवार के दिन पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि जिन लोगों पर बृहस्पति पर प्रसन्न होते हैं तो उनके जीवन में वैवाहिक सुख, धनलाभ और संतान सुख मिलता है। माना जाता है कि बृहस्पति गुरु इस मंदिर में साक्षात विराजमान हैं। जो लोग ग्रह दोष से पीड़ित होते हैं वो गुरुवार के दिन इस मंदिर में विशेष विधि के साथ पूजा करते हैं। इस मंदिर में बृहस्पति गुरु शांति यज्ञ में शामिल होने वाले भक्तों को धन, सम्मान, प्रसिद्धि, ज्ञान, बुद्धि, संतान सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।

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