क्या आप जानते हैं, चैत्र पूर्णिमा को देवी पूजा के लिए सबसे प्रभावशाली दिन क्यों माना जाता है? 🙏
चैत्र मास के अंत में आने वाली यह पूर्णिमा, हिंदू पंचांग के सबसे पावन दिनों में गिनी जाती है। पूर्णिमा की यह रात्रि अपने साथ एक विशेष आध्यात्मिक उर्जा लेकर आती है - क्योंकि यह साधना, पूजा-अर्चना और देवी की कृपा पाने का सर्वोत्तम समय होता है। शास्त्रों के अनुसार इस पूर्णिमा पर देवी की उपासना करने से उनकी परम शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो भक्त को दिव्य सुरक्षा, बल एवं मार्गदर्शन प्रदान करती है। दस महाविद्याओं में आठवीं मानी जाने वाली माँ बगलामुखी, शत्रु नाश, नकारात्मकता दूर करने और विपत्तियों में विजय दिलाने वाली देवी हैं। वहीं माँ प्रत्यंगिरा, आदिशक्ति का वह उग्र रूप हैं जो बुरी शक्तियों का संहार कर भक्तों को अनदेखे संकटों से बचाती हैं।
इस चैत्र पूर्णिमा के विशेष अवसर पर हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर में बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ, 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप एवं हवन का आयोजन होगा। 25 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा किया जाने वाला यह महानुष्ठान, देवी की सुरक्षात्मक शक्ति को जागृत करता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस कवच पाठ से माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा की कृपा प्राप्त होती है जो:
शत्रुओं के विरुद्ध दिव्य साहस प्रदान करती है।
1,25,000 मंत्र जाप से मंत्र की शक्ति बढ़ती है।
नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा होती है।
जीवन की अदृश्य बाधाएँ दूर होती हैं।
इस पावन अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य पूजा में सहभागी बनें और माँ बगलामुखी-प्रत्यंगिरा का आशीर्वाद प्राप्त करें।