🚩 राहु राशि गोचर के दौरान हनुमान, शनि और राहु की पूजा क्यों ज़रूरी मानी जाती है? 👇
18 मई 2025 को एक खास ज्योतिषीय घटना होने वाली है। राहु मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा, वहीं केतु कन्या से सिंह राशि में जाएगा। इस परिवर्तन का असर सभी राशियों पर पड़ने की संभावना है। खासकर कन्या राशि के लिए यह समय राहत देने वाला हो सकता है, लेकिन कुछ अन्य राशियों के लिए यह बदलाव मानसिक भ्रम, अस्थिरता और बार-बार की असफलताओं का कारण बन सकता है, जो तीव्र राहु दोष के कारण होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु एक रहस्यमय और अप्रत्याशित छाया ग्रह है। जब यह शनि जैसे प्रभावशाली ग्रह के साथ आता है, तो जीवन में भावनात्मक, मानसिक और कर्म संबंधी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं। जैसे—चिंता, डर, जीवन की दिशा का भटकाव और सामाजिक अपमान जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं। लेकिन कलियुग में भगवान हनुमान को वह शक्तिशाली देवता माना गया है जो इन दोनों ग्रहों की नकारात्मकता को शांत कर सकते हैं।
🕉️ हनुमान, राहु और शनि के बीच क्या है ब्रह्मांडीय संबंध?
त्रेता युग की एक कथा के अनुसार, जब रावण ने नवग्रहों को बंदी बना लिया था, तो भगवान हनुमान ने शनि देव को मुक्त कराया था। इसके बदले शनि देव ने उन्हें वचन दिया कि जो भी भक्त हनुमान की उपासना करेगा, उसे शनि की पीड़ा नहीं झेलनी पड़ेगी। इसी तरह माना जाता है कि राहु हनुमान जी से डरता है और जहाँ हनुमान का नाम श्रद्धा से लिया जाता है, वहाँ राहु का प्रभाव नहीं रहता। हनुमान गायत्री मंत्र विशेष रूप से राहु और शनि दोनों की अशुभ ऊर्जा को शांत करने के लिए बहुत प्रभावी माना गया है। यह मंत्र भय को साहस, भ्रम को स्पष्टता और कमजोरी को आत्मबल में बदलने की शक्ति रखता है।
🌑 राहु गोचर में हनुमान-शनि-राहु शांति महा अनुष्ठान
राहु के इस महत्वपूर्ण गोचर के समय ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और मानसिक स्थिरता पाने के लिए श्री मंदिर, उज्जैन स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में एक विशेष महाअनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। इसमें 21 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा नीचे दिए गए मंत्रों का जाप किया जाएगा:
👉 18,000 राहु मूल मंत्र
👉 21,000 हनुमान गायत्री मंत्र
👉 19,000 शनि मूल मंत्र
ऐसा माना जाता है कि इस शक्तिशाली और दुर्लभ अनुष्ठान से नकारात्मकता दूर होती है, भविष्य की अड़चनों से रक्षा मिलती है, और राहु-शनि के इस कठिन गोचर के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को स्थिर और संतुलित रखा जा सकता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र पूजा में भाग लें और अपने जीवन में ग्रहों की कृपा, दिव्य सुरक्षा और आंतरिक मजबूती का अनुभव करें।