हमारे शास्त्रों में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां काली की आराधना को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इन त्रिदेवियों की उपासना करता है, वह अपने जीवन में व्याप्त नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाकर सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करता है। वहीं यदि यह अनुष्ठान विशेष रूप से शक्तिपीठों में किया जाए, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इसी श्रद्धा और आस्था के साथ, श्री मंदिर द्वारा देश के तीन प्रमुख शक्तिपीठों – शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर, मां महालक्ष्मी अंबाबाई शक्तिपीठ मंदिर और कालीघाट शक्तिपीठ मंदिर में दुर्गा-लक्ष्मी-काली सम्पूर्ण सुरक्षा 12 ब्राह्मण महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस महायज्ञ का अनुष्ठान 12 ब्राह्मणों द्वारा संपन्न किया जाएगा, जो शक्ति स्वरूपा की महिमा और कृपा को भक्तों तक पहुंचाने का पवित्र प्रयास है। ये शक्तिपीठ मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां काली की उपासना के लिए सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली मंदिरों में से हैं। इनका ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व अनंत है। आइए, जानते हैं इन पावन स्थलों की महिमा...
शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर : प्रयागराज में स्थित मां ललिता देवी मंदिर यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां मां 3 रूपों में दर्शन देती हैं। यह मंदिर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के निकट स्थित है जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। देवी पुराण के अनुसार, सती का हस्तांगुल यानी हाथ की उंगली जहां गिरी, वहीं मां ललिता देवी प्रकट हुईं।
शक्तिपीठ माँ महालक्ष्मी अम्बाबाई मंदिर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित श्री महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती के दो नेत्र इसी स्थान पर गिरे थें तब से माता लक्ष्मी यहां विराजमान हैं। 7000 साल से भी अधिक पुराने इस मंदिर में विराजित माता लक्ष्मी की मूर्ति को दिव्य एवं चमत्कारी माना जाता है।
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर : कालीघाट मंदिर, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे।
मान्यता है इन त्रिदेवियों को समर्पित इस अनुष्ठान में भाग लेने से नकारात्मकता के विरुद्ध त्रिदेवी द्वारा सुरक्षा कवच की प्राप्ति होती है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और त्रिदेवियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।