😟 क्या वैवाहिक जीवन में तनाव है? कहीं कुंडली में बृहस्पति अशुभ तो नहीं? 🔍✨ इस ज्योष्ठ मास की एकादशी पर आयोजित विशेष अनुष्ठान ला सकते हैं खुशियों की सौगात…
ज्येष्ठ मास हिंदू पंचांग का तीसरा महीना है, जिसे आम बोलचाल में "जेठ का महीना" कहा जाता है। यह मई-जून के बीच पड़ता है और चातुर्मास, पितृ पक्ष व मलमास जैसी बाधाओं से मुक्त होने के कारण विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। हालाँकि, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ या दुर्बल हो, तो शुभ मुहूर्त होते हुए भी विवाह में विलंब या दांपत्य जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं। ऐसे में ज्येष्ठ माह की एकादशी तिथि को बृहस्पति शांति और विवाह संबंधी बाधाओं के निवारण हेतु अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और बृहस्पति ग्रह भी उन्हीं की कृपा से संचालित होता है। इसलिए इस दिन की पूजा वैवाहिक जीवन में सुख, स्थिरता और समझ लाने में सहायक मानी जाती है।
🔱 इस विशेष अनुष्ठान से करें बृहस्पति को मजबूत और दूर करें वैवाहिक जीवन के मतभेद✨
यदि कुंडली में बृहस्पति अशुभ या कमजोर हो, तो विवाह में देरी, योग्य जीवनसाथी की कमी या वैवाहिक जीवन में मतभेद जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसी बाधाओं को दूर करने के लिए काशी स्थित श्री बृहस्पति मंदिर में 16,000 बार बृहस्पति मूल मंत्र का जाप और सुदर्शन हवन जैसे विशेष अनुष्ठान अत्यंत प्रभावी माने गए हैं। पुराणों के अनुसार, स्वयं भगवान शिव ने इस स्थान पर बृहस्पति को प्रतिष्ठित किया था, जिससे यह तीर्थ विशेष रूप से वैवाहिक एवं पारिवारिक समस्याओं के निवारण के लिए प्रसिद्ध है। ज्येष्ठ मास की एकादशी के पावन संयोग पर आयोजित यह अनुष्ठान बृहस्पति की शक्ति को जाग्रत करता है, जिससे जीवन में शांति, प्रेम और समृद्धि का संचार होता है। वहीं सुदर्शन हवन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।
👉 श्री मंदिर के माध्यम से इस शुभ अवसर का भाग बनें और भगवान विष्णु एवं देवगुरु बृहस्पति के आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।