🙏विजया एकादशी पर भगवान विष्णु व उनके स्वरुप बृहस्पति देव से पाएं से वैवाहिक सुख और समृद्धि का आशीष 🌟
सनातन धर्म में हर 12 वर्ष में मनाए जाने वाले महाकुंभ पर्व का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में प्रयागराज को ‘तीर्थराज’ कहा जाता है, क्योंकि यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल के रूप में अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में स्थित होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है। इस शुभ समय में पडने वाली विजया एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। विजया एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। संस्कृत में विजया शब्द का अर्थ ‘जीत’ है, और इसी कारण यह एकादशी सभी कार्यों में विजय प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस विशेष एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ बृहस्पति देव की संयुक्त पूजा दुगुनी फलदायी होती है, क्योंकि भगवान विष्णु बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, बृहस्पति देव विवाह और वैवाहिक सुख के कारक माने जाते हैं। अनुकूल बृहस्पति जीवन में सौहार्द, समृद्धि और आनंद लाते हैं, जबकि अशुभ बृहस्पति वैवाहिक जीवन में विवाद, गलतफहमियों और कठिनाइयों का कारण बन सकते हैं। ऐसी स्थिति में महाकुंभ के दौरान विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करने से बृहस्पति के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि एवं आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी उल्लेखित है कि यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति अशुभ हो, तो 16,000 बृहस्पति मंत्र जाप और सुदर्शन हवन जैसे विशेष अनुष्ठान इसके नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं। धर्मग्रंथों में भी सुदर्शन हवन को भगवान विष्णु के एक दिव्य रूप और भगवान सुदर्शन को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली वैदिक अनुष्ठान बताया गया है, जो सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसीलिए महाकुंभ और विजया एकादशी के शुभ अवसर पर काशी स्थित श्री बृहस्पति मंदिर में 16000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप एवं सुदर्शन हवन किया जा रहा है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लें और भगवान विष्णु एवं बृहस्पति देव से आदर्श जीवनसाथी एवं सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करें।