सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन उन्हें प्रसन्न करने से भक्तों को बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सोमवार को चंद्र देव ने राजा दक्ष के श्राप से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा की थी। राजा दक्ष की 27 बेटियाँ थीं, जिनसे चंद्रमा ने विवाह किया था। चंद्रमा का अपनी पत्नी रोहिणी, के प्रति विशेष लगाव था, जिससे अन्य पत्नियाँ नाराज़ थीं और उन्होने अपने पिता से शिकायत की। राजा के समझाने के बाद भी चंद्रमा का व्यवहार नहीं बदला, जिससे राजा दक्ष ने उन्हें क्षय रोग का श्राप दे दिया। इस श्राप की वजह से चंद्रदेव को बीमार रहने लगे, जिसे देखकर सभी देवता चिंतित हो गए। तब ब्रह्मा जी ने, चंद्रदेव को सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने को कहा। चंद्रदेव के ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न हुए और कहा कि, 'माह के पक्ष में तुम्हारी कलाएं क्षीण होंगी और दूसरे पक्ष में तुम्हारी कलाएं बढ़ती रहेंगी। इस घटना के कारण सोमवार का दिन भगवान शिव की अराधना के लिए विशेष माना जाता है क्योंकि इसी दिन उन्होंने चंद्र देव को रोग से बचाया था और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दिया था।
दूसरी ओर, चंद्र दर्शन, वह अनुष्ठान है जो अमावस्या के बाद चंद्रमा के फिर से प्रकट होने पर किया जाता है, जिससे लोगों को चंद्र देव के दर्शन होते हैं। हिंदुओं में इसका बहुत धार्मिक महत्व है। इस साल, चंद्र दर्शन सोमवार को पड़ रहा है, जिससे भगवान शिव की पूजा करना और भी शुभ हो गया है। भक्त अक्सर सोमवार को ज्योतिर्लिंगों पर अनुष्ठान करते हैं, क्योंकि इन्हें बेहद प्रभावशाली माना जाता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयंभू लिंग माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तीनों लोकों में विचरण करने के बाद, भगवान शिव आज भी रात में विश्राम करने के लिए इस पवित्र स्थल पर आते हैं और हर रात चौपड़ खेलते हैं। इसलिए सोमवार और चंद्र दर्शन के इस शुभ संयोग पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और शिव सहस्रनाम रुद्राभिषेक पूजन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करें।