👉 मौनी अमावस्या पर त्रिदेव संग पाएं त्रिदेवियों का आशीष 🙏
हिंदू परंपरा में सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ प्रयागराज में हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो अपार आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। इस दौरान मौनी अमावस्या भी पड़ रहा है, जिसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है जो कि महाकुंभ के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या पवित्र अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ समय है। इस शुभ समय में गंगा, यमुना, सरस्वती त्रिवेणी संगम महाआरती, दुग्ध अभिषेक एवं त्रिदेव महायज्ञ करना अत्यंत प्रभावशाली हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश - सृष्टि, पालन और संहार की दिव्य शक्तियों के प्रतीक हैं, जबकि त्रिदेवियां- गंगा, यमुना एवं सरस्वती- वैराग्य, भक्ति एवं ज्ञान का प्रतीक हैं। इस विशेष अनुष्ठान में त्रिदेव और त्रिदेवी का सामूहिक पूजन अत्यंत प्रभावशाली हो सकता है।
मौनी अमावस्या के दिन क्यों हो जाता है त्रिवेणी संगम का जल अमृत समान?
माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम का जल अमृत स्वरूप हो जाता है और इस जल से दुग्ध अभिषेक करने से व्यक्ति को अक्षय सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस अनुष्ठान में गंगा, यमुना और सरस्वती को नमन कर जल, फल, फूल और दीप अर्पित किए जाते हैं। इसके पश्चात, त्रिदेव महायज्ञ करने से वातावरण शुद्ध और ऊर्जावान होता है। यह यज्ञ जीवन के तीनों आयाम- शरीर, मन और आत्मा में समृद्धि लाने का माध्यम है। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना, सरस्वती त्रिवेणी संगम महाआरती, दुग्ध अभिषेक एवं त्रिदेव महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। माना जाता है कि इस पूजा को करने से भक्तों को सुरक्षा और समृद्धि का आशीष मिलता है। श्री मंदिर के माध्यम से जीवन में एक बार मिलने वाले इस अवसर में अवश्य भाग लें।