👉पहली बार श्री मंदिर द्वारा गंगा नदी के बीच पूजा का आयोजन किया जाएगा🙏
भगवान शिव को 'देवों के देव महादेव' के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी इच्छाएं जल्दी पूरी होती हैं। इसलिए श्रावण के पवित्र महीने की शुरुआत से ही भक्त विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करके महादेव को प्रसन्न करने में लग जाते हैं, जिसमें पार्थिव शिवलिंग की पूजा का भी बहुत बड़ा महत्व है। वेदों और पुराणों में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के महत्व पर जोर दिया गया है। शिवपुराण के अनुसार, जो भक्त पार्थेश्वर पूजन करते हैं, उन्हें धन, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है और मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति भी मिलती है।
माना जाता है कि नवग्रहों में से एक शनि देव ने भी अपने पिता सूर्य देव से अधिक शक्ति पाने के लिए काशी में एक पार्थिव शिवलिंग बनाकर विशेष पूजा की थी। शास्त्रों में कहा गया है कि पार्थिव शिवलिंग हमेशा गंगा जैसी पवित्र नदियों के तट पर पाई जाने वाली पवित्र मिट्टी और रेत से बनाया जाना चाहिए। जिस तरह श्रावण का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, उसी तरह भगवान शिव को सोमवार का दिन भी प्रिय है। पुराणों के अनुसार श्रावण महीने के सोमवार को भगवान शिव की आराधना करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसलिए श्रावण के पवित्र महीने में सोमवार को पवित्र काशी नगरी में 1100 शिवलिंग प्राणप्रतिष्ठा पार्थेश्वर पूजन किया जाएगा। यह पूजा पवित्र गंगा नदी के बीच में नाव पर की जाएगी, इस दौरान पार्थिव शिवलिंग बनाए जाएंगे और पूजा संपन्न होने के बाद सभी शिवलिंगों को गंगा नदी में विसर्जित कर दिया जाएगा, जिसे सनातन धर्म में गंगा विसर्जन के नाम से जाना जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।